Shardiya Navratri 2024 Day 2: शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ, मिलेगा व्रत का पूर्ण फल
नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। मां दुर्गा का यह स्वरूप बेहद शांत है। देवी ब्रह्मचारिणी हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल धारण करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त (Maa Brahmacharini Vrat Katha) अपने जीवन में दिव्य ज्ञान की कामना करते हैं उन्हें मां की पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा की पूजा होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2024 यानी आज से हो चुकी है। वहीं, 4 अक्टूबर यानी आज इस महापर्व का दूसरा दिन है, जो मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग नौ दिन के व्रत का पालन कर रहे हैं, उन्हें मां ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना व्रत (Shardiya Navratri 2024 Day 2) पूर्ण नहीं माना जाता है, तो चलिए इस कथा का पाठ यहां करते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी कथा (Maa Brahmacharini Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने नारद मुनि के कहने पर शिव जी की कठोर तपस्या की थी और इसके प्रभाव से उन्होंने शिवजी को पति के रूप में प्राप्त किया था। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तपस्या के दौरान देवी ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए थे। वे हर दुख सहकर भी शंकर जी की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने बिल्व पत्र का भी त्याग कर दिया था। फिर कई हजार वर्षों तक उन्होंने निर्जल व निराहार रहकर तपस्या की, जब उन्होंने पत्तों को खाना छोड़ा तो उनका नाम अपर्णा पड़ गया। घोर तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया।जिसे देखकर देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की और कहा कि ''हे देवी आपकी तपस्या जरूर सफल होगी''। फिर कुछ समय के बाद ऐसा ही हुआ। बता दें, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सर्वसिद्धि की प्राप्ति होती है।यह भी पढ़ें: Saraswati Avahan 2024: नवरात्र में कब किया जाएगा सरस्वती आवाहन, जानिए तिथि और इस दिन का महत्व
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