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Shardiya Navratri 2024: 3 दुर्लभ योग में होगी शारदीय नवरात्र की शुरुआत, बनेंगे सारे बिगड़े काम

सनातन धर्म में आश्विन माह (Shardiya Navratri 2024) के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान श्रद्धाभाव से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-भक्ति की जाती है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं 12 अक्टूबर को दशहरा है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 01 Oct 2024 05:53 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर से हो रही है। यह पर्व जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के निमित्त व्रत रखा जाता है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक ही हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही घर में सुख एवं समृद्धि आती है। ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) के पहले दिन घटस्थापना पर 3 दुर्लभ एवं शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, इन योग के बारे में जानते हैं-

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शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि (Shardiya Navratri 2024 Start Date)

वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 04 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी।

शारदीय नवरात्रि 2024 घटस्थापना समय (Shardiya Navratri 2024 Ghatasthapana Muhurat)

शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन योग समय में घटस्थापना कर मां भवानी की पूजा कर सकते हैं।

शारदीय नवरात्रि शुभ योग (Shardiya Navratri 2024 shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना के दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग दिन भर है। वहीं, समापन 04 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 24 मिनट पर होगा। इसके साथ ही आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर हस्त नक्षत्र का संयोग दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक है। इसके बाद चित्रा नक्षत्र का संयोग बनेगा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।