Navratri 2024 Hawan Vidhi: नवरात्र में इस सरल विधि से करें हवन, माता रानी का होगा आगमन
इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत गुरुवार 03 अक्टूबर से होने जा रही है। यह अवधि माता रानी को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम मानी गई है। वहीं नवरात्र की अष्टमी या नवनी तिथि पर हवन करना भी काफी लाभदायक माना जाता है। ऐसे चलिए जानते हैं कि आप किस प्रकार सरल विधि से नवरात्र के दौरान हवन कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में नवरात्र को एक बहुत ही पवित्र अवधि के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस अवधि में सच्चे मन से माता रानी की उपासना की जाए, तो इससे साधक के घर में माता रानी का आगमन होता है। ऐसे में यदि आप नवरात्र में हवन करने का विचार बना रहे हैं, तो इसके लिए हम आपको हवन की सरल विधि बताने जा रहे हैं।
हवन की समाग्री
सबसे पहले तो हवन की सारी सामग्री जैसे - धूप, जौ, नारियल, गुग्गुल, लोबान, शहद, गाय का घी, सुगंध, अक्षत, मखाना, तिल, चावल, जौ, कपूर, पलाश, गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा आदि एकत्र कर लें। अब इन सभी चीजों को मिलकर हविष्य (हवन में डाली जाने वाली सामग्री) बनाएं और एक पात्र में एकत्र करके रख लें। हवन की अग्नि को जलाने के लिए आम की लकड़ी, चंदन की लकड़ी, कपूर आदि रखें।
हवन की सरल विधि
- सबसे पहले सुबह मां दुर्गा की पूजा करें।
- हवन कुंड के लिए, आठ ईंटें लगाकर वेदी बनाएं या फिर बाजार से भी हवन कुंड ला सकते हैं।
- हवन कुंड के पास धूप-दीप जलाएं करें और एक स्वस्तिक बनाकर नाड़ा बांधें और पूजा करें।
- अब हवन कुंड में आम की लकड़ी रखकर जलाएं।
- अब हवन कुंड की अग्नि में हविष्य की आहुति देते समय मंत्रों का जाप करें।
- इसके बाद ब्रह्मा जी और शिव जी के नाम से भी आहुति दें।
- हवन के बाद, भगवान गणेश और मां दुर्गा की आरती करें।
- सबसे आखिर में, खीर और शहद मिलाकर आहुति दें।
- अंत में हवन कुंड की अग्नि में नारियल और सुपारी डालें।
- हवन पूर्ण होने के बाद कन्याओं को भोजन कराएं।
करें इन मंत्रों का जाप
- ओम गणेशाय नम: स्वाहा
- ओम गौरियाय नम: स्वाहा
- ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
- ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
- ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
- ओम हनुमते नम: स्वाहा
- ओम भैरवाय नम: स्वाहा
- ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
- ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
- ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
- ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
- ओम शिवाय नम: स्वाहा
- ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
- स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
- ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
- ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
- ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।