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Shardiya Navratri 2024 Ashtami Date: कब है महाष्टमी? नोट करें पूजा की सही विधि और पारण समय

इस साल 3 अक्तूबर 2024 से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हुई है जो 11 अक्तूबर तक चलेंगे। वहीं महाष्टमी 11 अक्टूबर 2024 को पड़ रही है। इस दिन को नवरात्र का सबसे अहम दिन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक दुर्गा अष्टमी (Navratri 2024 Mahashtami Date) पर मां महागौरी की पूजा करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 07 Oct 2024 11:04 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2024 Ashtami Date: महाष्टमी पूजा विधि और समय।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र का सबसे महत्वपूर्ण दिन अष्टमी तिथि और नवमी तिथि को ही माना जाता है। महाअष्टमी नवरात्र के आठवें दिन आती है। यह मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल शारदीय नवरात्र की (Shardiya Navratri 2024) अष्टमी 11 अक्टूबर को है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा सच्चे भाव से करते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो यहां पर दी हुई हैं।

महाष्टमी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्र (Navratri 2024) की महाष्टमी 11 अक्टूबर 2024 को पड़ रही है। पंचांग को देखते हुए आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर होगा।

महाष्टमी पूजा विधि (Navratri 2024 Puja Vidhi)

सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद मां दुर्गा का अभिषेक करें। उन्हें लाल कुमकुम का तिलक लगाएं। गुड़हल और कमल के फूलों की माला अर्पित करें। लाल वस्त्र अर्पित करें। देवी को शृंगार की सामग्री जरूर अर्पित करें। माता महागौरी को पांच अलग-अलग तरह की मिठाइयां और फल का भोग लगाएं। अष्टमी पूजा के अनुष्ठानों का पालन करें, पवित्र देवी मंत्र का भक्तिपूर्वक जाप करें। इसके बाद मां गौरी की आरती करें। अंत में हाथ जोड़कर अपनी सभी त्रुटि के लिए क्षमा मांगकर पूजा समाप्त करें।

शारदीय नवरात्र पारण समय (Shardiya Navratri Paran Time)

नवरात्र व्रत का पारण कन्या पूजन के बाद किया जा सकता है। हालांकि नवरात्र व्रत के पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद ही माना जाता है, जब दशमी तिथि की शुरुआत हो चुकी हो।

महाष्टमी पूजन मंत्र

1. मां महागौरी का मंत्र:

2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।