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Shardiya Navratri 2024 Day 3: ऐसे करें मां चंद्रघंटा को प्रसन्न, जीवन में बनी रहेगी बरकत

नवरात्र के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा ( Devi Chandraghanta Puja) की पूजा होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार 5 अक्टूबर 2024 यानी आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है। ऐसा कहा जाता है कि इस पावन अवसर पर (Shardiya Navratri 2024) मां चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में बरकत आती है। इसके साथ ही सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 05 Oct 2024 08:37 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2024 Day 3: ऐसे करें मां चंद्रघंटा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का पर्व माता दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान लोग भक्ति भाव के साथ व्रत करते हैं और माता रानी की विधिवत पूजा करते हैं। आज नवरात्र का तीसरा दिन है, जो मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए अर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस पवित्र व्रत (Shardiya Navratri 2024) का पालन करते हैं, उन्हें सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। यदी आप देवी दुर्गा की पूर्ण कृपा चाहते हैं, तो आपको उनके इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए, तो आइए यहां पढ़ते हैं मां चंद्रघंटा देवी स्तोत्र -

।।चंद्रघंटा माता स्तोत्र।। ( Chandraghanta Mata Stotra)

।।ध्यानम् ।।

वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्।

सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्।।

कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम्।

खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्।।

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम्।

कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्।।

स्तोत्रम् ।।

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्ति: शुभपराम्।

अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्।।

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।

धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्।।

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।

सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्।।

मां चंद्रघंटा कवच पाठ (Chandraghanta Mata Kavach)

रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।

श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्।।

बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।

स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम।।

कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च

न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्।।

पूजन मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।