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Shardiya Navratri 2024 Day 6: नवरात्र के छठे दिन जरूर करें अथ सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ, दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ेगी दौलत

नवरात्र का छठा दिन (Shardiya Navratri 2024 Day 6) मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार 8 अक्टूबर 2024 यानी आज शारदीय नवरात्र का छठा दिन है जिसमें भक्त माता रानी की विधिवत पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन (Shardiya Navratri 2024) देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं माता उनकी सभी मुरादें पूर्ण करती हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Tue, 08 Oct 2024 08:57 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2024 Day 6: अथ सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का त्योहार बेहद पावन और शुभ माना जाता है। इस दौरान लोग भक्ति के साथ व्रत करते हैं और माता रानी की पूजा करते हैं। आज नवरात्र का छठा दिन है, जो मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस पावन पर्व का उपवास रखते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती हैं। यदि आप देवी दुर्गा की कृपा चाहते हैं,

तो आपको इस दिन (Shardiya Navratri 2024 Day 6) अथ सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे जीवन की हर बाधा का अंत होगा, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

॥ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ॥

शिव उवाच:

देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।

कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥

देव्युवाच:

शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् ।

मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥

विनियोग:

ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः ।

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा ।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः

स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।

दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥

सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥

रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा

तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌ ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि ।

एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम्‌ ॥7॥

॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम्‌ ॥

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।