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Shardiya Navratri 2024 Day 7: नवरात्र के सातवें दिन पूजा के दौरान करें मां काली की आरती, माता रानी बरसाएंगी कृपा

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024 Day 7) के सातवें दिन देवी काली की पूजा का विधान है जो देवी दुर्गा का उग्र स्वरूप हैं। माता नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करने के लिए जानी जाती है। साथ ही वे अपने भक्तों के जीवन का अंधकार दूर करती हैं। यदि आप माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको उनकी भाव के साथ भव्य आरती करनी चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Tue, 08 Oct 2024 03:18 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024 Day 7:देवी काली की विधिवत पूजा करें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। देवी काली मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की उपासना (Shardiya Navratri 2024 Day 7) करने से जीवन की सभी नकारात्मकता समाप्त होती है। इसके साथ ही सभी मुरादें पूर्ण होती हैं। अगर आप अपने जीवन के सभी कष्टों को दूर करना चाहते हैं, तो आपको देवी काली की विधिवत पूजा करनी चाहिए। साथ ही पूजा का समापन लौंग और कपूर की आरती से करना चाहिए। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा। वहीं, उन्हें गुड़ का भोग लगाना चाहिए।

मां काली भोग

ऐसा कहा जाता है कि काली माता को भोग के रूप में ज्यादा किसी मिष्ठान की जरूरत नहीं होती है। उन्हें भाव के साथ गुड़ अर्पित करके भी उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती।

।।मां काली की आरती।। (Maa Kalratri Ki Aarti)

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी।

दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी।

सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,

दुशटन को तू ही ललकारती।

हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता।

पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता।

सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,

दुखीं के दुक्खदे निवर्तती।

हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना।

हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना।

सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,

सतियो के सत को संवरती।

हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।।

चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली।

वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली।

माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,

भक्तो के करेज तू ही सरती।

हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।

तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।