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Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र में डोली पर सवार होकर आएंगी जगत की देवी मां दुर्गा, रहना होगा सतर्क!

ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी घटस्थापना (Shardiya Navratri 2024) के दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 04 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 24 मिनट पर होगा। इंद्र योग में जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से व्रती को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 05 Sep 2024 06:10 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जगत जननी मां दुर्गा और उनके शक्ति रूपों की पूजा की जाती है। इसे शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) कहा जाता है। इन नौ दिनों में जगत जननी मां दुर्गा के नौ रूपों के निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक है। इसके अगले दिन दशहरा है। ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र पर मां दुर्गा विशेष वाहन पर सवार होकर आएंगी। आइए, मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान वाहन के बारे में जानते हैं-

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शारदीय नवरात्रि 2024 कैलेंडर (Shardiya Navratri 2024 Calendar)

  • 03 अक्टूबर 2024- मां शैलपुत्री की पूजा
  • 04 अक्टूबर 2024- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • 05 अक्टूबर 2024- मां चंद्रघंटा की पूजा
  • 06 अक्टूबर 2024- मां कूष्मांडा की पूजा
  • 07 अक्टूबर 2024- मां स्कंदमाता की पूजा
  • 08 अक्टूबर 2024- मां कात्यायनी की पूजा
  • 09 अक्टूबर 2024- मां कालरात्रि की पूजा
  • 10 अक्टूबर 2024- मां सिद्धिदात्री की पूजा
  • 11 अक्टूबर 2024- मां महागौरी की पूजा
  • 12 अक्टूबर 2024- विजयदशमी (दशहरा)

शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि (Ashwin Navratri 2024)

वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर से हो रही है। प्रतिपदा तिथि का समापन 04 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर घटस्थापना मुहूर्त 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन योग में घटस्थापना कर मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।

मां दुर्गा का आगमन (Navratri festival 2024)

शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।

गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥

गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।

नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥

देवीपुराण में निहित श्लोक के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन मां डोली पर सवार होकर आती हैं। अतः जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा शारदीय नवरात्र में डोली पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिषियों की मानें तो मां दुर्गा का डोली पर सवार होकर आना सुखद नहीं होता है। इससे मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अराजकता जैसी स्थिति रह सकती है। अतः लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है। साथ ही मां दुर्गा की पूजा-भक्ति करनी है।

मां दुर्गा का प्रस्थान

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,

शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,

सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

देवी पुराण में वर्णित श्लोक के अनुसार, शनिवार के दिन मां दुर्गा चरणायुध होकर जाएंगी। मां दुर्गा का चरणायुध प्रस्थान करना भी शुभ नहीं होता है। इससे जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। दुख एवं अशांति की स्थिति पैदा होगी। कुल मिलाकर कहें तो मां का डोली पर आगमन और चरणायुध होकर प्रस्थान करने से देश और दुनिया पर अशुभ प्रभाव पड़ सकता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।