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Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र पर लाएं मां दुर्गा की ऐसी प्रतिमा, दूर होंगे सभी प्रकार के रोग-दोष

पंचांग के अनुसार आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) की शुरुआत हो रही है। इस बार यह दिन गुरुवार 03 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान सच्चे भाव के साथ कठिन व्रत का पालन करने और पूजा करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 27 Sep 2024 01:15 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: ऐसी लाएं मां दुर्गा की प्रतिमा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र का पर्व देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, जो साल में 4 बार मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। जल्द ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत होने वाली है। इस बार यह आश्विन माह में 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं, यह शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलते हैं।

इन नौ दिनों (Shardiya Navratri 2024) में भक्त देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं, तो आइए नवरात्र शुरू होने से पूर्व जानते हैं कि आखिर इस शुभ अवसर पर अपने घर में मां दुर्गा की कैसी प्रतिमा लानी चाहिए?

ऐसी लाएं मां दुर्गा की प्रतिमा (Maa Durga Ki Pratima Kaise Honi Chaiye)

  • यदि घर पर मां की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, तो उनकी छोटे आकार की प्रतिमा लेकर आएं।
  • मिट्टी की प्रतिमा सबसे शुभ मानी जाती है, इसलिए मिट्टी की प्रतिमा घर पर लाएं।
  • जिस प्रतिमा को आप घर पर ला रहे हैं, उसमें इस बात का ध्यान जरूर दें कि उनके मुख पर सरल और शांत भाव होना चाहिए।
  • क्रोधित भाव वाली मूर्ति घर पर गलती से भी न लाएं।
  • यदि मां दुर्गा प्रतिमा में आशीर्वाद की मुद्रा में हों और उनके मुख पर मुस्कान हो, तो यह और भी अच्छा माना जाता है।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा पीले रंग की सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है, हालांकि अन्य रंगों की मनाही नहीं है।
  • मां की प्रतिमा घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना उत्तम माना जाता है।
  • भूलकर भी बिना आसन लगाएं मां दुर्गा की प्रतिमा न स्थापित करें।

मां दुर्गा की स्थापना के बाद करें इन मंत्रों का जाप

1. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्‍य करें.

2. पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।

प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।

पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत । प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।