Shardiya Navratri में दुर्गा चालीसा के पाठ से मिलते हैं शुभ परिणाम, बस रखें इन बातों का ध्यान
नवरात्र की अवधि को माता रानी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दौरान साधक व्रत करते हैं और विशेष विधि-विधान से माता के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा के दौरान आरती के साथ-साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भी आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। चलिए पढ़ते हैं दुर्गा चालीसा और इससे संबंधित कुछ जरूरी बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र की पवित्र अवधि में मां दुर्गा के नौ दिनों की पूजा-अर्चना का विधान है। इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर, गुरुवार के दिन से हो रही है, जिसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। नवरात्र के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय आपको कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
रखें इन बातों का ध्यान
नवरात्र में सूर्योदय से पहले उठें स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद मां दुर्गा को फूल, रोली, दीप, दूध व प्रसाद चढ़ाएं और उनकी पूजा-अर्चना करें। फिर दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें और इसके समापन के बाद माता रानी की आरती करें। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में भी बांटें।
।। दोहा।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।यह भी पढ़ें - Shardiya Navratri में मां दुर्गा को रोजाना अर्पित करें ये प्रिय फूल, चमक जाएगी आपकी फूटी किस्मत
।। चौपाई।।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।निराकार है ज्योति तुम्हारी ।तिहूं लोक फैली उजियारी।।शशि ललाट मुख महा विशाला।नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।रूप मातुको अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे ।।तुम संसार शक्ति मय कीना ।पालन हेतु अन्न धन दीना ।।अन्नपूरना हुई जग पाला ।तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।
प्रलयकाल सब नासन हारी।तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।रूप सरस्वती को तुम धारा ।दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।परगट भई फाड़कर खम्बा ।।रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।लक्ष्मी रूप धरो जग माही।श्री नारायण अंग समाहीं । ।
क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।दयासिंधु दीजै मन आसा ।।हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी ।।मातंगी धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।श्री भैरव तारा जग तारिणी।क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।। केहरि वाहन सोहे भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी ।।कर मे खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै ।।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।नगर कोटि मे तुमही विराजत।तिहुं लोक में डंका बाजत ।।शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे ।।महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अधिभार मही अकुलानी ।। रूप कराल काली को धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा।।परी गाढ़ संतन पर जब-जब। भई सहाय मात तुम तब-तब ।।अमरपुरी औरों सब लोका।जब महिमा सब रहे अशोका ।।ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हे सदा पूजें नर नारी ।।प्रेम भक्त से जो जस गावैं।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै ।।ध्यावें जो नर मन लाई ।जन्म मरण ताको छुटि जाई ।। जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग नही बिन शक्ति तुम्हारी ।।शंकर आचारज तप कीन्हों ।काम क्रोध जीति सब लीनों ।। निसदिन ध्यान धरो शंकर को।काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।शक्ति रूप को मरम न पायो ।शक्ति गई तब मन पछितायो।।शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा ।।
मोको मातु कष्ट अति घेरों ।तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।आशा तृष्णा निपट सतावै।रिपु मूरख मोहि अति डरपावै ।। शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।करो कृपा हे मातु दयाला।ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।। जब लगि जियौं दया फल पाऊं।तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं ।।दुर्गा चालीसा जो गावै ।सब सुख भोग परम पद पावै।।
देवीदास शरण निज जानी।करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।यह भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2024: बेहद खास हैं मां दुर्गा के नौ स्वरूप, आराधना से मिलता है मनचाहा फल