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Shardiya Navratri 2024: बेहद खास हैं मां दुर्गा के नौ स्वरूप, आराधना से मिलता है मनचाहा फल

साल में 04 बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है जिसमें दो प्रकट नवरात्र - चैत्र व शारदीय नवरात्र शामिल हैं। वहीं दो गुप्त नवरात्र - माघ गुप्त नवरात्र आषाढ़ गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं। इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत गुरुवार 03 अक्टूबर 2024 से होने जा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्र से जुड़ी खास बातें।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 02 Oct 2024 11:38 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2024 जानें मां दुर्गा के नौ स्वरूप (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में नवरात्र की अवधि पूर्ण रूप से मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के लिए समर्पित मानी जाती है। नवरात्र को लेकर यह माना जाता है कि इस अवधि में माता रानी का धरती पर आगमन होता है और वह अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। इस दौरान साधक माता रानी के नौ स्वरूपों की भक्ति-भावना के साथ पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करता है। साथ ही यह वह समय भी है, जब ऋतु में परिवर्तन आता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी साधक श्रद्धाभाव के साथ नवरात्र के व्रत और पूजा करता है, उसके सभी दुख-संताप दूर होते हैं। तो चलिए जानते हैं नौ देवियों के बारे में विशेष जानकारी।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त (Shardiya Navratri 2024 Shubh Muhurat)

प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर, 2024 को रात 12 बजकर 18 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 04 अक्टूबर को रात 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि गुरुवार 03 अक्टूबर से मनाई जाएंगी। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। ऐसे में इस दिन घट स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जो इस प्रकार हैं -

  • घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 07 बजकर 22 मिनट तक
  • घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक

1. माता शैलपुत्री स्वरूप

नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना के साथ माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है। मां दुर्गा की पहली शक्ति माता शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें, तो उनका वरण श्वेत (सफेद) है। वह सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनकी सवारी वृषभ (बैल) है। मां शैलपुत्री ने दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है। पहली आदिशक्ति यानी माता शैलपुत्री का स्वरूप सौम्यता, करुणा, स्नेह और धैर्य को दर्शाता है।

माता शैलपुत्री मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

2. माता ब्रह्मचारिणी स्वरूप

नवदुर्गाओं में दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है। इस स्वरूप में माता रानी श्वेत वस्त्र धारण किए हुए है। जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। माता ब्रह्मचारिणी के रूप में देवी पार्वती के अविवाहित रूप में पूजा की जाती है। इस स्वरूप को ज्ञान, तपस्या, और वैराग्य की देवी कहा जाता है।

माता ब्रह्मचारिणी मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

3. मां चन्द्रघण्टा स्वरूप

नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। इसका वर्ण स्वर्ण की तरह चमकीला है। माता रानी के इस स्वरूप के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम स जाना जाता है। इनके दस हाथ हैं, जिसमें उन्होंने खड्ग, त्रिशूल, तलवार, धनुष, कमल, कमंडल, और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए हैं। इनका वाहन सिंह हैं।

मां चन्द्रघण्टा मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

4. मां कुष्मांडा स्वरूप

नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। इनका स्वरूप दिव्‍य और अलौकिक है, जिसमें माता शेर पर विराजमान है। अपनी आठ भुजाओं में माता कुष्मांडा ने अस्‍त्र और कमंडल, कलश, कमल, सुदर्शन चक्र आदि धारण किए हुए हैं। मां पार्वती के इस स्वरूप की आराधना करने से साधक को आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है।

मां कुष्मांडा मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

5. मां स्कंदमाता स्वरूप

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। मां स्कंदमाता की गोद में युद्ध के देवता अर्थात भगवान कार्तिकेय को दर्शाया गया है। भगवान कार्तिकेय अर्थात स्कंद देव की माता होने के कारण देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है। माता के इस स्वरूप की चार भुजाएं हैं, जिसमें से दो भुजाओं में उन्होंने कमल धारण किया हुआ है। एक हाथ में कार्तिकेय जी और चौथे हाथ से आशीर्वाद देते हुए नजर आती हैं। मां सिंह की सवारी करती हैं।

मां स्कंदमाता मंत्र - या देवी सर्वभूतेषू मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

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6. मां कात्यायनी स्वरूप

नवरात्रि के छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। देवी दुर्गा का छठा स्वरूप यानी मां कात्यायनी चमकीले वर्ण वाली हैं। इनके चार हाथ होते हैं, जिसमें इन्होंने एक हाथ में तलवार, एक हाथ में कमल धारण किया हुआ है। वहीं इनकी एक हाथ अभय मुद्रा और दूसरा हाथ में वरद मुद्रा में है।

मां कात्यायनी मंत्र - कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

7. मां कालरात्रि स्वरूप

नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। इसके स्वरूप की बात करें कि इनके तीन नेत्र हैं और गले में विद्युत जैसी चमकने वाली माला धारण की हुई है। इनके चार हाथ हैं जिसमें से दो में इन्होंने खड्ग और लौह शस्त्र धारण किया हुआ है। वहीं एक हाथ वरमुद्रा में और दूसरा हाथ अभय मुद्रा है। इनका वाहन गधा है।

मां कालरात्रि मंत्र - ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।

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8. माता महागौरी स्वरूप

नवरात्र के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा का विधान है। मां पार्वती का यह स्वरूप काफी सरस और मोहक है। इन्होंने सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं और इन्हें भी चतुर्भुज स्वरूप में दर्शाया गया है। इनके एक दाईंने दाहिने हाथ में त्रिशूल रहता है और इनका दूसरा दायां हाथ अभय मुद्रा में है। वहीं इन एक बाएं हाथ में डमरू है और वहीं दूसरा बांया हाथ वर मुद्रा में रहता है। वाहन की बात करें, तो महागौरी भी बैल पर सवार रहती हैं।

महागौरी मंत्र - या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

9. मां सिद्धिदात्री स्वरूप

मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की बात करें तो, मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व जैसी 8 सिद्धियां हैं। माता कमल पर विराजमान रहती हैं और ये चार भुजाओं वाली हैं। इन्होंने अपने इस स्वरूप में एक हाथ में शंख, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल और चौथे हाथ में च्रक धारण किया हुआ है।

मां सिद्धिदात्री मंत्र - या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।