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Navratri 2024: साल में दो बार क्यों मनाए जाते हैं नवरात्र, प्रकृति भी करती है माता रानी का स्वागत

हिंदू धर्म में नवरात्र को एक बहुत ही पवित्र अवधि माना जाता है। वैसे तो साल में 04 बार नवरात्र का पर्व आता है जिसमें से दो प्रकट नवरात्र होते हैं और 02 गुप्त नवरात्र। लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्र को ज्यादा प्रमुख माना गया है। क्या आप जानते हैं कि साल में 02 बार नवरात्र क्यों मनाए जाते हैं। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसका कारण।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 01 Oct 2024 04:50 PM (IST)
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Navratri 2024: साल में दो बार क्यों मनाए जाते हैं नवरात्र?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस वर्ष शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) की शुरुआत 03 अक्टूबर, 2024 से होने जा रही है। यह पर्व मुख्य रूप से मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, जो भी साधक पूरे विधि-विधान से नवरात्र (Navratri 2024) का व्रत और माता रानी की पूजा-अर्चना करता है, उसके सभी प्रकार के दुख-दर्द से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं।

यह है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, साल में दो बार नवरात्र मनाए जाने का संबंध भगवान श्रीराम से माना जाता है। जिसके अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और विजय प्राप्त की, तो वह विजयी होने के बाद मां का आशीर्वाद लेने के लिए नवरात्र तक की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे।

तब उन्होंने माता रानी के निमित्त विशेष पूजा का आयोजन किया। जिसके बाद से ही नवरात्र का पर्व दो बार मनाया जाने लगा। जहां शारदीय नवरात्र धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है। वहीं चैत्र नवरात्रि के नवमी पर राम जी के जन्मोत्सव को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। 

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प्रकृति भी करती है माता रानी का स्वागत

दरअसल नवरात्र का पर्व साल में दो बार मनाए जाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण मिलते हैं। जिनमें से एक प्राकृतिक कारण भी है, जिसके अनुसार, दोनों ही नवरात्र के दौरान यानी चैत्र और आश्विन माह की अवधि में ऋतु परिवर्तन का समय होता है।

नवरात्र के दौरान न तो मौसम ज्यादा गर्म होता है और न ही ज्यादा ठंडा, अर्थात इस दौरान मौसम काफी सुहावना रहता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि प्रकृति स्वयं को माता रानी के आगमन के लिए तैयार कर रही है। वहीं अगर देखा जाए, तो नवरात्र का व्रत हमें प्रकृति में आए इन बदलावों के लिए तैयार करने में मदद करता है।

यह भी है कारण

सनातन शास्त्रों में निहित है कि वर्ष में दो गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं। वहीं, चैत्र माह में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। जबकि, आश्विन महीने में शारदीय नवरात्र मनाए जाने का विधान है। दोनों ही नवरात्र (चैत्र और शारदीय) का विशेष महत्व है, लेकिन चैत्र नवरात्र में पूजा के दौरान बलि नहीं चढ़ाई जाती है। वहीं, शारदीय नवरात्र में मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए बलि भी चढ़ाई जाती है।

हालांकि, यह प्रथा कुछ चुनिदां स्थानों पर ही प्रचलित है। चैत्र नवरात्र के दौरान नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ है। इस शुभ अवसर पर रामनवमी मनाई जाती है। जबकि, शारदीय नवरात्र के अगले दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में दशहरा का पर्व मनाया जाता है। 

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।