Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन करें ये आरती, मां ब्रह्मचारिणी बरसाएंगी कृपा
शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान और तपस्या की प्रतीक हैं और उनकी आराधना से भक्तों को शांति और समृद्धि मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से सभी कामों में सफलता मिलती है। ऐसे में इस दिन (Shardiya Navratri 2025) सुबह उठें और स्नान-ध्यान करें। देवी के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें फल, मिठाई और फूल अर्पित करें। फिर देवी की भव्य आरती करें, जो इस प्रकार हैं -
।।मां दुर्गा की आरती।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।
जय अम्बे गौरी,...।
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।
जय अम्बे गौरी,...।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।
जय अम्बे गौरी,...।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।
जय अम्बे गौरी,...।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।
जय अम्बे गौरी,...।
शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी,...।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी,...।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी,...।
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी,...।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी,...।
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी,...।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी,...।
अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।
जय अम्बे गौरी,...।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती ( Maa Brahmacharini Ki Aarti)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो। ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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