Shardiya Navratri Ashtami 2024: 10 या 11 अक्टूबर, कब है अष्टमी? नोट करें सही डेट एवं पूजा का शुभ मुहूर्त
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी (Navratri Ashtami 2024 Date) की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी का व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो अष्टमी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 10 Oct 2024 08:25 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष आश्विन माह में शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस वर्ष 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा और उनके शक्ति स्वरूपों की पूजा (Navratri Ashtami Puja Vidhi) की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जा रहा है। धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुख, भय और संकट दूर हो जाते हैं। हर वर्ष की भांति सप्तमी तिथि के अगले दिन अष्टमी (Navratri Ashtami 2024) मनाई जाएगी। हालांकि, अष्टमी तिथि को लेकर साधक दुविधा में है। आइए, शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Durga Ashtami Shubh Muhurat)
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी। नवमी तिथि पर पूजन और हवन किया जाता है। इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाएगा।
कब है अष्टमी ? (Navratri Ashtami 2024 Date)
प्रकांड पंडितों एवं धर्म जानकारों की मानें तो शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा निशा काल में होती है। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि मां काली को समर्पित है। इस तिथि पर मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। एक ही तिथि पर सप्तमी-अष्टमी पड़ने पर अष्टमी व्रत मां कालरात्रि को समर्पित तिथि पर नहीं किया जाता है। इसके अगले दिन अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इसके लिए अष्टमी व्रत 11 अक्टूबर (Ashtami 2024 Shubh Muhurat) को रखा जाएगा। वहीं, नवमी पूजन एवं हवन भी 11 अक्टूबर को किया जाएगा। साधक 12 अक्टूबर को व्रत का पारण कर सकते हैं।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 20 मिनट परसूर्यास्त - शाम 05 बजकर 55 मिनट परचन्द्रोदय- दोपहर 01 बजकर 55 मिनट परचंद्रास्त- रात 12 बजकर 19 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 50 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
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