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Sandhi Puja 2024: कब है संधि पूजा? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा का सही समय

धार्मिक मत है कि जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। देवी मां चामुंडा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष 11 अक्टूबर को संधि पूजा (Sandhi Puja Muhurat 2024) है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 09 Oct 2024 06:51 PM (IST)
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Sandhi Puja 2024: संधि पूजा का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष आश्विन माह में शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस वर्ष 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र है। इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा एवं उपासना की जाती है। साथ ही मां दुर्गा और उनके स्वरूपों के निमित्त व्रत रखा जाता है। नवरात्र के नौ दिनों तक व्रत रखने से साधक पर जगत जननी मां दुर्गा की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। नवरात्र के दौरान संधि पूजा (Shardiya Navratri Sandhi Puja 2024) की जाती है। इस दौरान मां दुर्गा के चामुंडा स्वरूप की पूजा की जाती है। आइए, संधि पूजा के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त (Durga Navami Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि की शुरुआत होगी। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगा।

संधि पूजा शुभ मुहूर्त (Sandhi Puja Shubh Muhurat Time)

संधि पूजा अष्टमी तिथि समाप्त होने से 24 मिनट पूर्व और नवमी तिथि शुरू होने के 24 मिनट बाद तक देवी मां चामुण्डा की पूजा की जाती है। आसान शब्दों में कहें तो दो घटी यानी 48 मिनट तक संधि पूजा की जाती है। इस शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा के स्वरूप देवी चामुण्डा की उपासना की जाती है। इस पूजा के कई कठोर नियम हैं। इन नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। देवी मां चामुण्डा अष्टमी और नवमी तिथि के दौरान (48 मिनट) चंड और मुंड दानव का संहार करने हेतु प्रकट हुई थीं। इस शुभ अवसर पर मां चामुण्डा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। 11 अक्टूबर को संधि पूजा का शुभ समय दिन में 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है। इस दौरान देवी मां चामुंडा की पूजा की जाएगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 20 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 55 मिनट पर

चन्द्रोदय- दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर

चंद्रास्त- रात 12 बजकर 19 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 50 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।