Shardiya Navratri 2024: नवरात्र व्रत का पारण कब और कैसे करें? एक क्लिक में जानें पूरी जानकारी
शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो साधक इस दौरान व्रत रखते हैं और माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें उनका पूर्ण आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही परिवार में खुशहाली आती है। वहीं व्रत (Shardiya Navratri Vrat Paran) का पारण कैसे करना है? उसके बारे में जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह लगातार 9 दिनों और रातों तक चलते हैं। इस दौरान लोग विभिन्न प्रकार के पूजा अनुष्ठान करते हैं और कठिन उपवास का पालन करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) का समापन दशहरा के साथ यानी 12 अक्टूबर को होगा। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में माता रानी की विधिपूर्वक पूजा करने और उनके नाम से उपवास करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
वहीं, जो लोग पूरे 9 दिनों का व्रत कर रहे हैं, उनके लिए पारण के कुछ नियम बनाए गए हैं, जिसका पालन करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।
इस विधि से करें नवरात्र व्रत का पारण (Navratri Vrat Paran Rules 2024)
- नवरात्र व्रत का पारण हमेशा कन्या पूजन के बाद किया जाता है।
- सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें।
- इसके बाद मां दुर्गा की विधि अनुसार पूजा करें।
- देवी की भव्य आरती से पूजा का समापन करें।
- पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- फिर देवी दुर्गा के नाम से कुछ दान करें।
- इसके बाद पारण समय के अनुसार सबसे पहले देवी का प्रसाद ग्रहण करें।
- फिर सात्विक भोजन से व्रत का पारण करें।
- इस दौरान तामसिक भोजन और चीजों से परहेज करें।
शारदीय नवरात्र पारण समय (Shardiya Navratri Paran Time)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र व्रत का पारण कन्या पूजन के बाद किया जा सकता है, लेकिन नवरात्र व्रत पारण के लिए सबसे शुभ समय नवमी की समाप्ति के बाद ही माना जाता है, जब दशमी तिथि की शुरुआत हो चुकी हो।
ऐसे में पूरे नौ दिनों का व्रत करने वाले साधक 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट के बाद कर सकते हैं, क्योंकि इस दौरान दशमी तिथि का आरंभ हो चुका होगा।
शारदीय नवरात्र पूजन मंत्र
1. 'ओम दुं दुर्गायै नमः'2. 'ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः'3. 'या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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