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Shastra Puja 2023: आज विजयादशमी पर इस विधि से करें शस्त्र पूजा, जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा का सही समय एवं महत्व

पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक है। इसके पश्चात एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी। अतः 3 बजे तक दशहरा है। वहीं शस्त्र पूजा के लिए शुभ समय दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से लेकर 02 बजकर 43 मिनट तक है। इस दौरान शस्त्र पूजा कर सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 24 Oct 2023 07:00 AM (IST)
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Shastra Puja 2023: आज विजयादशमी पर इस विधि से करें शस्त्र पूजा, जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा का सही समय

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shastra Puja 2023: हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर विजयादशमी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 24 अक्टूबर को दशहरा है। इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को शस्त्र पूजा करने से युद्ध में परास्त न होने का वरदान प्राप्त होता है। अतः विजयादशमी तिथि पर सेना के जवान अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। इसके अलावा, सामान्य लोग भी अपने घर में रखे शस्त्र की पूजा करते हैं। वहीं, काम करने वाले लोग भी अपने औजार की पूजा करते हैं। आइए, शस्त्र पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सही समय जानते हैं-

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शस्त्र पूजा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक है। इसके पश्चात, एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी। अतः 3 बजे तक दशहरा है। वहीं, शस्त्र पूजा के लिए शुभ समय दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से लेकर 02 बजकर 43 मिनट तक है। इस दौरान शस्त्र पूजा कर सकते हैं।

पूजा विधि

आज दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान श्रीराम और जगत-जननी आदिशक्ति मां जगदंबा की पूजा करें। इस समय एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर शस्त्र रखें। शस्त्र से कारतूस निकाल दें। साथ ही बच्चों को भी शस्त्र से दूर रखें। अब निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।

स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥

इसके पश्चात पंचोपचार कर शस्त्र की पूजा करें। शस्त्र पर कुमकुम लगाएं, लाल रंग के फूल अर्पित करें। इस समय काली चालीसा और काली कवच का पाठ करें। साथ ही राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। पूजा के अंत में मां काली की आरती कर वीरता, विजय और पराक्रम का वरदान मांगें। इसके पश्चात, घर के बड़े लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। शस्त्र पूजा के पश्चात, रावण दहन किया जाता है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।