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Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर बन रहे हैं शुभ योग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और तिल का महत्व

Shattila Ekadashi 2023 षटतिला एकादशी का विशेष महत्व है। माघ एकादशी के दिन विधिवत भगवना विष्णु की पूजा करने से रोग दोष और भय से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानिए षटतिला एकादशी का मुहूर्त पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghUpdated: Wed, 18 Jan 2023 08:33 AM (IST)
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Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर बन रहे हैं शुभ योग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और तिल का महत्व

नई दिल्ली, Shattila Ekadashi 2023 Shubh Muhurat, Puja Vidhi: पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष का एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी व्रत के नाम से जानते हैं। भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। षटतिला एकादशी पर काफी खास संयोग बन रहा है। ऐसे में पूजा करने का विशेष फल प्राप्त होगा।

माना जाता है कि षटतिला एकादशी के दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के पापों से मुक्ति पा लेता है। इसके साथ ही रोग, दोष और भय से छुटकारा मिल जाता है। षटतिला एकादशी के दिन स्नान दान का भी विशेष महत्व है। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।

षटतिला एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी आरंभ- 17 जनवरी 2023, मंगलवार शाम 6 बजकर 5 मिनट पर

एकादशी तिथि समाप्त- 18 जनवरी 2023, बुधवार शाम 4 बजकर 3 मिनट पर

उदया तिथि के हिसाब से 18 जनवरी 2023 को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

वृद्धि योग- 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 58 मिनट से 19 जनवरी सुबह 2 बजकर 47 मिनट तक।

अमृतसिद्धि योग- 18 जनवरी को सुबह 07:02 से 18 जनवरी शाम 05:22 तक

सर्वार्थ सिद्धि योग - 18 जनवरी सुबह 07:02 से 18 जनवरी शाम 05:22 तक।

षटतिला एकादशी व्रत का पारण

षटतिला एकादशी व्रत का पारण 19 जनवरी 2023 को सूर्योदय के बाद किसी भी समय किया जा सकता है।

षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व

षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति की तरह षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन तिल का दान देने से मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को हर कष्ट से छुटकारा मिल जाता है और मां लक्ष्मी की कृपा से कभी भी धन की कमी नहीं होती है। षटतिला एकादशी के दिन तिल का 6 तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। जल से तिल डालकर स्नान, तिल का दान, तिल का सेवन करें, तिल से तर्पण, हवन में तिल अर्पित करने के साथ तिल का सेवन करें।

षटतिला एकादशी 2023 पूजा विधि

  • षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें। जल अर्पित करने के बाद पीले फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही भोग में मिठाई के साथ तिल, उड़द की दाल के साथ बनी खिचड़ी चढ़ाएं। इसके बाद जल अर्पित करें।
  • अब घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत आरती के साथ मंत्र, चालीसा और एकादशी की कथा का पाठ करें।
  • अंत में विधिवत आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें। दिनभर व्रत रहने साथ रातभर भजन कीर्तन करें।
  • रात के समय तिल से 108 बार 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा' मंत्र का जाप करते हुए हवन करें।
  • दूसरे दिन नियमित स्नान आदि के बाद पूजा करें और इसके बाद ही व्रत का पारण करें।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'