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Shiv Ji Ki Stuti: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए करें इस अद्भुत स्तुति का पाठ, मिलेगा भौतिक सुखों का वरदान

सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा अगर सच्चे भाव से की जाए तो वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको सुबह पवित्र स्नान करने के बाद उनकी विधि अनुसार पूजा (Shivji Ji Puja) करनी चाहिए। इसके बाद उनकी स्तुति भजन और आरती करनी चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 22 Apr 2024 07:00 AM (IST)
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Shiv Ji Ki Stuti: भगवान शिव की पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Ji Ki Stuti: भगवान शिव की पूजा शास्त्रों में बेहद शुभ मानी गई है। देवों के देव की पूजा करने से हर वो चीज आसानी से मिल जाती है, जिसकी कामना आप करते हैं। सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा अगर सच्चे भाव से की जाए, तो वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

ऐसे में अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो आपको सुबह पवित्र स्नान करने के बाद उनकी विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए। इसके बाद उनकी स्तुति, भजन और आरती करनी चाहिए। इससे महादेव के साथ माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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।।शिव स्तुति।।

आशुतोष शशांक शेखर,

चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,

कोटि नमन दिगम्बरा।।

निर्विकार ओमकार अविनाशी,

तुम्ही देवाधि देव,

जगत सर्जक प्रलय करता,

शिवम सत्यम सुंदरा।।

निरंकार स्वरूप कालेश्वर,

महा योगीश्वरा,

दयानिधि दानिश्वर जय,

जटाधार अभयंकरा।।

शूल पानी त्रिशूल धारी,

औगड़ी बाघम्बरी,

जय महेश त्रिलोचनाय,

विश्वनाथ विशम्भरा।।

नाथ नागेश्वर हरो हर,

पाप साप अभिशाप तम,

महादेव महान भोले,

सदा शिव शिव संकरा।।

जगत पति अनुरकती भक्ति,

सदैव तेरे चरण हो,

क्षमा हो अपराध सब,

जय जयति जगदीश्वरा।।

जनम जीवन जगत का,

संताप ताप मिटे सभी,

ओम नमः शिवाय मन,

जपता रहे पञ्चाक्षरा।।

आशुतोष शशांक शेखर,

चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,

कोटि नमन दिगम्बरा ।।

कोटि नमन दिगम्बरा..

कोटि नमन दिगम्बरा..

कोटि नमन दिगम्बरा..

।।शिव जी की आरती।।

जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

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