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Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, पूरी होगी मनचाही मुराद

गरुड़ पुराण में निहित है कि सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024) तिथि पर पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर गया समेत गंगा नदी के तट पर स्थित प्रमुख स्थानों पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा व्यक्ति विशेष पर बरसती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 22 Aug 2024 09:26 PM (IST)
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Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।  ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 02 सितंबर को सोमवती अमावस्या है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके साथ ही देवों के देव महादेव की पूजा (Somvati Amavasya Puja Vidhi) करते हैं। इस शुभ तिथि पर पितरों का भी तर्पण किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ शिव योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में स्नान-ध्यान और भगवान शिव की उपासना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-

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शिव योग (Shiv Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या पर शिव योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होती है। इस शुभ मुहूर्त में पितरों का तर्पण करने से साधक को पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या पर शिव योग का संयोग संध्याकाल 06 बजकर 20 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं।

सिद्धि योग (Siddhi Yog)

सोमवती अमावस्या पर शिव योग के बाद सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में कार्य करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही कार्य में सिद्धि मिलती है। ज्योतिष सिद्धि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं। इस योग का निर्माण संध्याकाल 06 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है।

शिववास योग (Shiv Vaas Yog)

सोमवती अमावस्या पर अति दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन भर है। भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि पर देवों के देव महादेव कैलाश पर ध्यान मुद्रा में विराजमान रहेंगे। इससे समस्त लोकों का कल्याण होगा।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजे...

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 15 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।