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Shivashtakam: सोमवार को करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ, कारोबार का होगा विस्तार

सोमवार का दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक शिव जी की पूजा सच्ची श्रद्धा और भाव के साथ करते हैं उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। साथ ही सोमवार के दिन शिव मंदिर में जाकर भोलेनाथ को जल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। इससे आपके घर में धन वैभव की कमी नहीं रहती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 01 Apr 2024 08:16 AM (IST)
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Shivashtakam: शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ इस दिन करें -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shivashtakam: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा बहुत ही लाभकारी मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ की आराधना करने से मनचाही इच्छाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत बेहद शुभ होता है।

ऐसे में अगर आप शिव जी को खुश करना चाहते है, तो आपको सोमवार के दिन का उपवास जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, जो इस प्रकार है -

।।शिवाष्टक स्तोत्र।।

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।