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Shivastakam: सोमवार के दिन करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ, सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण

भगवान शंकर की पूजा बेहद कल्याणकारी मानी गई है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शिव जी को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें सोमवार के दिन का व्रत जरूर करना चाहिए। साथ ही शिव मंदिर में जाकर भोलेनाथ को जल चढ़ाना चाहिए जो साधक ऐसा करते हैं उन्हें वैभव की प्राप्ति होती है। सोमवार के दिन शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 18 Mar 2024 09:08 AM (IST)
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Shivastakam: सोमवार के दिन करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shivastakam: सनातन धर्म में भगवान शंकर की पूजा बहुत ही शुभ मानी गई है। मान्यताओं के अनुसार, शिव जी की पूजा करने से मनचाही इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का उपवास बेहद कल्याणकारी होता है।

ऐसे में अगर आप भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते है, तो आपको सोमवार के दिन का व्रत करना चाहिए। इसके साथ ही शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, जो इस प्रकार है -

।।शिवाष्टक स्तोत्र।।

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

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