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Sawan 2024: देवों के देवों महादेव को भूलकर न चढ़ाएं 5 चीजें, वरना भुगतने पड़ेंगे बुरे परिणाम

सावन के महीने में भगवान शिव संग मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा (Sawan 2024 Shivling Puja Niyam) की जाती है। इस शुभ अवसर पर साधक गंगाजल दूध दही और शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जलाभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। भगवान शिव की कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 01 Aug 2024 07:10 PM (IST)
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Shivling Puja Niyam: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना देवों के देव महादेव को पूर्णतया समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। विष्णु पुराण में निहित है कि देवशयनी एकादशी से भगवान श्रीहरि क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। वहीं, देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु जागृत होते हैं। चातुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। अतः सावन (Sawan 2024) महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर साधक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए फल, फूल और जल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को 5 चीजें भूलकर भी अर्पित नहीं करनी चाहिए ? इन चीजों के अर्पित करने से जगत की देवी मां पार्वती एवं महादेव अप्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं-

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हल्दी

धर्म जानकारों की मानें तो देवों के देव महादेव को भूलकर हल्दी न अर्पित करें। हल्दी का संबंध स्त्री तत्व से है। वहीं, शिवलिंग भगवान शिव का ज्योत रूप है। इसमें पुरूष तत्व विद्यमान है। इसके अलावा, हल्दी का उपयोग मसाले में किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में तमोगुण की बढ़ोतरी होती है। इसके लिए भगवान शिव को हल्दी न अर्पित करने की सलाह दी जाती है। अत: भूलकर भी पूजा के समय भगवान शिव को हल्दी न चढ़ाएं।

सिंदूर

भगवान शिव को पूजा के समय सिंदूर न अर्पित करें। ऐसा करने से जगत की देवी मां पार्वती अप्रसन्न होती हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण में निहित है। कहते हैं कि चिरकाल में एक तपस्वी ने भगवान शिव को हल्दी और नींबू एक साथ अर्पित कर दी थी। इससे भगवान शिव का शरीर रक्त-रंजित हो गया था। यह देख जगत की देवी मां पार्वती अप्रसन्न और क्रोधित हो गई थीं। तत्कालीन समय में भगवान शिव के कहने पर मां पार्वती ने तपस्वी को क्षमा प्रदान की थी। अत: पूजा (Shiv Puja Vidhi) के समय भगवान शिव को भूलकर भी सिंदूर न अर्पित करें।

शंख

भगवान शिव को पूजा के समय शंख अर्पित न करें और न ही शंख में जल भरकर महादेव का अभिषेक (Shivling Puja Niyam) करें। शास्त्रों में निहित है कि शंखचूड़ नामक असुर को भगवान शिव ने युद्ध में परास्त किया था। असुर शंखचूड़, देवों के देव महादेव को अपना शत्रु मानता था। इसके लिए भगवान शिव को शंख न अर्पित करें। ऐसा करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है।

तुलसी

देवों के देव महादेव को तुलसी दल भी न अर्पित करें। विष्णु पुराण में निहित है कि जालंधर की धर्मपत्नी वृंदा पति परायण थीं। इसके साथ ही वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। उनके पति परायण तप के चलते जालंधर का वध करना देवताओं के लिए आसान नहीं था। उस समय भगवान शिव ने छल से वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग किया था। जालंधर वध के पश्चात देवताओं ने युद्ध में असुरों को परास्त किया था। उस समय वृंदा ने भगवान शिव को तुलसी न अर्पित करने का श्राप दिया था।

खंडित बेलपत्र

भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है। हालांकि, देवों के देव महादेव को खंडित बेलपत्र भूलकर भी अर्पित न करें। ऐसा करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसके लिए भगवान शिव को जल अर्ध्य देते समय भूलकर भी खंडित बेलपत्र न चढ़ाएं। वहीं, तीन पत्तों वाले बेल पत्र अर्पित करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।