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Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के पहले दिन दुर्लभ शिववास समेत बन रहे हैं ये 6 अद्भुत योग, प्राप्त होगा अक्षय फल

सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) के दौरान पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पितृ पक्ष धरती पर वास करते हैं। अतः आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पितरों की पूजा-उपासना की जाती है। पितृ पक्ष का समापन आश्विन अमावस्या तिथि पर होता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 16 Sep 2024 05:24 PM (IST)
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Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस वर्ष पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है। 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। चंद्र ग्रहण के बाद पितरों का तर्पण किया जाएगा। ज्योतिषियों की मानें तो पितृ पक्ष के प्रथम दिवस पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही व्यक्ति को पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। आइए पितृ पक्ष के प्रथम दिवस पर बनने वाले शुभ योग के बारे में जानते हैं-

 

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शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 19 सितंबर को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर होगा।

शिववास योग

पितृ पक्ष के पहले दिन सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन 19 सितंबर को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर होगा। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इस दौरान पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।

करण

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर बव, बालव और कौलव करण के योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण कर सकते हैं। इसके साथ ही पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। इन शुभ योग में पितरों का तर्पण करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 08 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 22 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 37 मिनट पर

चंद्रास्त- नहीं...

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 21 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 06 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।