Sawan Purnima 2024: सावन पूर्णिमा पर शोभन योग समेत बन रहे हैं 5 अद्भुत संयोग, बनेंगे सारे बिगड़े काम
सनातन धर्म में सावन का महीना (Sawan Purnima 2024) देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव संग मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने का समापन सावन पूर्णिमा पर होता है। इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सावन पूर्णिमा पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 12 Aug 2024 08:19 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा (Sawan Purnima Puja Vidhi) करते हैं। साथ ही जप-तप और दान-पुण्य करते हैं। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना और दान-पुण्य करने से जातक को कभी न क्षय होने वाले फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जातक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सावन पूर्णिमा पर दुर्लभ शोभन योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
श्रावण पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Sawan Purnima Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 19 अगस्त को देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्य उदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 19 अगस्त को सावन पूर्णिमा मनाई जाएगी। सावन पूर्णिमा पर भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन मनाया जाता है। इसके लिए19 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।शोभन योग ( Auspicious Yogas 2024)
ज्योतिषियों की मानें तो सावन पूर्णिमा पर दुर्लभ शोभन योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक है। ज्योतिष शोभन योग को शुभ कार्यों का श्रीगणेश करने के लिए उत्तम मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
करण
सावन पूर्णिमा पर बव करण का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण भद्रा के बाद हो रहा है। वहीं, समापन देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है। इसके बाद बालव करण का योग बनेगा। ज्योतिष बव और बालव करण को शुभ मानते हैं। इस दिन श्रवण नक्षत्र का संयोग 08 बजकर 10 मिनट तक है। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 05 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट परचन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 54 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 36 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक यह भी पढ़ें: कजरी तीज व्रत से मिलेगा मनचाहा वर, नोट करें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।