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Putrada Ekadashi 2024: आज मनाई जा रही है पुत्रदा एकादशी, नोट करें श्री हरि के प्रिय पुष्प से लेकर संपूर्ण जानकारी

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं जिसमें पुत्रदा एकादशी को बेहद विशेष माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन माह की पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त यानी आज मनाई जा रही है तो आइए इस दिन की पूजा की संपूर्ण जानकारी यहां जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 16 Aug 2024 09:17 AM (IST)
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Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी पर ऐसे करें पूजा -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित सबसे शुभ दिनों में से एक है। इस पवित्र दिन पर भक्त भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं और उनकी विधि अनुसार पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन माह की पुत्रदा एकादशी सावन 16 अगस्त 2024 यानी आज मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। अगर आप श्री हरि की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।

शुभ योग

वैदिक पंचांग के अनुसार, आज शिववास योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 40 मिनट से हो रहा है। इसके साथ विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। वहीं, प्रीति योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 13 मिनट पर होगा और इस योग का समापन 17 अगस्त को सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर होगा।

भगवान विष्णु को अर्पित करें ये फूल - कमल, कदम, केतकी, केवड़ा, वैजयंती, तुलसी के मंजरी और अशोक के फूल।

पूजा विधि

  • भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • इस व्रत का सच्चे भाव के साथ पालन करें।
  • भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें हल्दी और गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
  • फूल, तुलसी पत्र, शमी के पत्ते आदि चीजें अर्पित करें।
  • फल, मिठाई, घर पर बने भोग चढ़ाएं।
  • भक्त सूर्यास्त से ठीक पहले शाम की पूजा कर लें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम, श्री हरि स्तोत्रम और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • वैदिक मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान विष्णु की आरती से पूजा का समापन करें।
  • जो लोग भूख बर्दाश्त नहीं कर सकते, वे पूजा करने के बाद शाम को फलहारी कर सकते हैं।
  • ध्यान रहे भोग प्रसाद सात्विक होना चाहिए।
  • परिवार के सभी सदस्यों में भोग प्रसाद वितरित करें।

विशेष भोग - पंजीरी और पंचामृत।

विष्णु पूजा मंत्र

शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।