Shri Krishna को अति प्रिय हैं ये चीजें, घर में रखने से बनी रहेगी मुरलीधर की कृपा
कई भक्त अपने घर में या फिर मंदिर जाकर नियमित रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की कृपा से साधक के घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्ति के लिए आप अपने घर में क्या चीजें रख सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु को ही अवतार माने जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण को गिरधारी, देवकीनंदन, मुरलीधर, बांके बिहारी आदि जैसे कई नामों से जाना जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसी वस्तुओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भगवान कृष्ण की प्रिय मानी गई हैं, और इन्हें घर में रखने से शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है।
इस तरह करें प्रसन्न
भगवान कृष्ण को एक ग्वाले के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वह अपने साथियों के साथ गाय चलाया करते थे। ऐसे में यदि संभव हो तो आप अपने घर में गाय पाल सकते हैं। इससे भगवान कृष्ण का आशीर्वाद सदा आपके और आपके परिवार को बना रहता है। यदि घर पर गाय पालना संभव नहीं है तो आप अन्य तरीको से भी गाय की सेवा कर सकते हैं। इससे भी श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं।
घर में रखें ये चीजें
श्री कृष्ण अपने शीश पर मोर पंख धारण करते हैं, इसका एक कारण यह बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को काल सर्प दोष था। ऐसे में अगर आप अपने घर में मोर पंख रखते हैं, तो इससे वास्तु दोष से छुटकारा मिल सकता है। वहीं, बांसुरी भी भगवान कृष्ण का प्रिय वाद्य यंत्र माना गया है। इसे भी घर में रखने से सुख-समृद्धि बनी रहती है।यह भी पढ़ें - Devshayani Ekadashi 2024: इन मंत्रों के जप से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात
बनी रहती है कृष्ण जी की कृपा
भगवान कृष्ण के शृंगार और पूजा में चंदन का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। ऐसे में चंदन को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। कृष्ण जी की कृपा के लिए पूजा के दौरान उन्हें चंदन का टीका जरूर लगाना चाहिए।अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।