Shukra Mantra: शुक्रवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी
ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र देव की कृपा से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं शुक्र कमजोर रहने पर सुखों में कमी होने लगती है। कई बार जातकों को आर्थिक विषमता से भी गुजरना पड़ता है। इसके अलावा विवाह समेत अन्य शुभ कार्यों में भी बाधा आती है। अतः ज्योतिष कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत करने की सलाह देते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 04 Apr 2024 07:39 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukra Mantra: ज्योतिष शास्त्र में दैत्यों के गुरु शुक्र देव को सुखों का कारक माना जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र देव की कृपा से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, शुक्र कमजोर रहने पर सुखों में कमी होने लगती है। कई बार जातकों को आर्थिक विषमता से भी गुजरना पड़ता है। इसके अलावा, विवाह समेत अन्य शुभ कार्यों में भी बाधा आती है। अतः ज्योतिष कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत करने की सलाह देते हैं। इसके लिए किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं पड़ती है। देवों के देव महादेव की पूजा-उपासना करने से कुंडली में शुक्र ग्रह स्वतः मजबूत होता है। साथ ही शुक्र मंत्रों का जप करें। अगर आप भी धन की समस्या से निजात पाना चाहते हैं, तो पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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शुक्र मंत्र
- ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
- ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
- ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहा
- ऊँ शुं शुक्राय नम:
- ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम
- सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
- “ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्”।।
- ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति:।
शुक्र स्त्रोत
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित।वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम:।।देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग:।
परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर:।।प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:।नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ।।तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर:।यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ।।अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे ।त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ।।
विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन ।ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ।बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम:।भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ।।जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम:।नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ।।नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने ।स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन:।।य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम ।
पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ।।राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम ।भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै:।।अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम ।रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ।।यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा ।प्रात:काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत:।।सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि:।।
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