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Shukra Pradosh vrat 2022: शुक्र प्रदोष व्रत पर बन रहा अबूझ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shukra Pradosh vrat 2022 शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि प्रदोष काल के समय भगवान शिव की पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। जानिए प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Fri, 13 May 2022 08:22 AM (IST)
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Shukra Pradosh Vrat 2022: शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि और मुहूर्त
नई दिल्ली, Shukra Pradosh Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। बता दें कि हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को। दोनों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की विधिवत तरीके से पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। नियम के साथ व्रत करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए वैशाख मास के दूसरे प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुक्र प्रदोष व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि आरंभ- 13 मई को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर शुरू

त्रयोदसी तिथि का समापन- 14 मई शनिवार को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट

पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 7 बजकर 04 मिनट से रात 9 बजकर 09 मिनट तक

सिद्धि योग- दोपहर 03 बजकर 42 मिनट से शुरू

प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 13 मई को ही रखा जाएगा।

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे और सूखे वस्त्र धारण कर लें। अब भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें। इसके बाद आसन बिछाकर भगवान शिव को पुष्प के माध्यम से जल चढ़ाएं। इसके बाद सफेद पुष्प, माला, शमी, धतूरा, बेलपत्र, भांग, चीनी, शहद आदि चढ़ाएं। इसके बाद सफेद चंदन लगाकर अक्षत चढ़ाएं। फिर भोग लगाएं। भोग में आप पुआ, हलवा या फिर चने के अलावा मिठाई चढ़ा सकते हैं। इसके बाद घी का दीपक जलाकर शिव जी के मंत्र, शिव चालीसा के साथ-साथ प्रदोष व्रत कथा का पाठ कर लें। अंत में आरती करके भगवान शिव के सामने भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद प्रसाद सभी को बांट दें और आप दिनभर फलाहारी व्रत रखें और दूसरे दिन सूर्योदय के साथ व्रत का पारण करें।

Pic Credit- Instagram/jyotishvyas4u

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'