Shukra Pradosh Vrat 2023: विवाह संबंधी सभी समस्याएं होंगी दूर, शुक्र प्रदोष के दिन करें ये खास उपाय
Shukra Pradosh Vrat 2023 शुक्र प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए बेहद शुभ माना गया है जिनके जीवन में विवाह संबंधी समस्याएं आ रही हैं इसलिए साधक को सच्चे दिल से इस व्रत को करना चाहिए। यह उपवास सुबह से शाम तक के लिए रखा जाता है और शिव पूजन के बाद खोला जाता है। इस व्रत से जुड़े कुछ नियम यहां बताए गए हैं आइए जानते हैं-
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 24 Nov 2023 09:43 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukra Pradosh Vrat 2023: शुक्र प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा ही धार्मिक महत्व है। यह शुभ दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस बार प्रदोष व्रत 24 नवंबर 2023 यानी आज रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो साधक व्रत रखते हैं सच्ची श्रद्धा से भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं। उन्हें जीवन में कभी किसी दुख का सामना नहीं करना पड़ता है।
जीवनसाथी पाने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय
- शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर शिव जी के किसी मंदिर जाएं और वहां जाकर विधि अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। भोलेबाबा का गंगाजल से अभिषेक करें और बेल पत्र चढ़ाएं। ऐसा करने भगवान भोलेनाथ आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे।
- इस बार प्रदोष उस खास दिन पड़ रहा है, जब विभिन्न स्थानों पर तुलसी विवाह भी आयोजित किया जा रहा है। इस वजह से यह व्रत और भी ज्यादा शुभ और फलदायी माना जा रहा है, जो लोग अपने वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना लगातार कर रहे हैं, उन्हें इस विशेष दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
- जो व्यक्ति एक अच्छा जीवन साथी पाना चाहते हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे भगवान शिव और देवी पार्वती को चावल की खीर और पंचामृत चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लें और अपनी इच्छा पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
शुक्र प्रदोष पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- अपने घर और पूजा मंदिर को साफ करें।
- लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
- शिव परिवार के समक्ष शुद्ध देसी घी का दीया जलाएं।
- शिव परिवार को फूलों की माला अर्पिक करें
- शिव परिवार को चंदन का तिलक लगाएं।
- शिव परिवार को खीर का भोग लगाएं।
- पंचाक्षरी मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
- भगवान शिव की आरती से पूजा का समापन करें।
- अंत में प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांट दें और अपना व्रत खोलें।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'