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Pradosh Vrat 2023: शुक्र प्रदोष व्रत पर इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा, दूर होंगे सभी दुख और संताप

शुक्र प्रदोष व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 21 Nov 2023 01:29 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2023: शुक्र प्रदोष व्रत पर इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, 24 नवंबर को प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते यह प्रदोष व्रत कहलाएगा। शुक्र प्रदोष व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत पर इस शुभ मुहूर्त में देवों के देव महादेव की पूजा करें। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर को संध्याकाल 07 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 25 नवंबर को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।

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पूजा का शुभ समय

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ समय संध्याकाल 07 बजकर 06 मिनट से लेकर संध्याकाल 08 बजकर 06 मिनट तक है। इस समय में देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है।

शुभ योग

सिद्धि योग प्रातः काल 09 बजकर 05 मिनट तक है।

सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है ।

अमृत सिद्धि योग सुबह शाम 04 बजकर 01 मिनट तक है।

करण

बव करण सुबह 08 बजकर 03 मिनट तक है।

बालव करण शाम 07 बजकर 06 मिनट तक है।

बालव करण के बाद कौलव करण का योग है।

शिववास

ज्योतिषियों की मानें तो प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव संध्याकाल 07 बजकर 06 मिनट तक कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी पर सवार होंगे। इस समय में भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। साथ ही रुद्राभिषेक कर सकते हैं।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।