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Sindoor ka Mahatva: मां सीता और देवी पार्वती से जुड़ा है सिंदूर का संबंध, जानिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

हिंदू धर्म में कई ऐसी मान्यताएं हैं जिनके पीछे आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व छिपे हुए हैं। बता दें कि सुहागिन महिलाओं द्वारा लगाए जाने वाले सिन्दूर का भी अपना एक विशेष महत्व है। इसके पीछे न केवल आध्यात्मिक महत्व है बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी छिपा हुआ है। आइए जानते हैं-

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Thu, 08 Jun 2023 03:26 PM (IST)
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जानिए, क्या है हिन्दू धर्म में सिंदूर का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sindoor Scientific and Adhyatmik Importance: हिंदू धर्म में ऐसी विविध परंपराएं हैं, जिनके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व दोनों छिपे हुए हैं। ऐसी ही एक परंपरा है, सुहागिन महिलाओं द्वारा सिंदूर का प्रयोग करना। बता दें कि हिंदू धर्म में सिंदूर को 'सौभाग्य' का प्रतीक माना जाता है। मान्यता यह भी है की सुहागिन महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर भरने से पति की आयु लंबी होती है और स्त्री को सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सिंदूर लगाने का चलन प्राचीन काल से चला रहा है और इसका संबंध माता पार्वती व देवी सीता से भी जुड़ता है। आज हम इसी विषय पर बात करेंगे और जानेंगे, क्या है सिंदूर का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व?

हिंदू धर्म में क्या है सिंदूर का महत्व?

सिंदूर का उल्लेख रामायण काल में भी किया गया था। माना जाता है कि माता सीता नितदिन शृंगार के रूप में सिंदूर का प्रयोग करती थीं। एक कथा के अनुसार, हनुमान जी ने जब मां सीता को सिंदूर लगाते हुए देखा और तो जिज्ञासावश उनसे यह पूछा लिया कि वह हर दिन सिंदूर क्यों लगाती हैं? तब जानकी जी ने उन्हें बताया कि वह भगवान श्री राम की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर भरती हैं और भगवान श्री राम इससे प्रसन्न होते हैं। तब श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी ने अपने प्रभु को प्रसन्न करने के लिए पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप लगा लिया था। इसलिए वर्तमान काल में भी हनुमान जी की पूजा में सिंदूर का प्रयोग निश्चित रूप से किया जाता है। ऐसा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

दांपत्य जीवन में क्या है सिंदूर का महत्व?

शास्त्रों में बताया गया है कि जिन सुहागिन महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर लगाया जाता है, उन्हें पति की अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। साथ ही समूचे परिवार को संकटों से छुटकारा मिल जाता है। नवरात्रि व दीपावली में मां दुर्गा और माता लक्ष्मी की उपासना में भी 16 शृंगार में सिंदूर का स्थान श्रेष्ठ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, सिंदूर का प्रयोग करने से माता सती और मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंदूर लगाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है?

सिंदूर लगाने के पीछे छिपा है वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का ब्रह्मरंद्र यानी मस्तिष्क का उपरी भाग बहुत ही संवेदनशील और कोमल होता है। ऐसे में सिंदूर लगाने से विद्युत ऊर्जा पर नियंत्रण पाई जा सकती है और इससे नकारात्मक विचार दूर रहते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि सिंदूर लगाने से सिर दर्द, अनिद्रा, मस्तिष्क से जुड़ा रोग समाप्त हो जाता है। यह भी कहा जाता है कि सिंदूर के प्रयोग से चेहरे पर जल्दी झुर्रियां भी नहीं पड़ती है और बढ़ती उम्र के संकेत दिखाई नहीं देते हैं।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।