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Singh Sankranti 2024: इस विधि से दें सूर्य देव को अर्घ्य, दिनों-दिन धन-संपत्ति में होगी बढ़ोतरी

सूर्य पूरे साल एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इस बार वह 16 अगस्त को कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे जिसे सिंह संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान सूर्य की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति का जीवन खुशियों से भरा रहता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 05 Aug 2024 11:47 AM (IST)
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Singh Sankranti 2024: सिंह संक्रांति पर ऐसे चढ़ाएं सूर्य देव को जल -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सिंह संक्रांति का दिन बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि यह वह अवधि है जब सूर्य देव कर्क राशि से सिंह राशि (Singh Sankranti 2024) में प्रवेश करते हैं। ऐसे में जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में सूर्य सिंह राशि (Sun Transit In Leo 2024) में है, उनके लिए यह संक्रांति अच्छी खबर लेकर आ रही है।

वहीं, इस शुभ समय पर भगवान सूर्य की पूजा विशेष मानी जाती है, जो लोग भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन का उपवास अवश्य रखना चाहिए। साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

सिंह संक्रांति पर ऐसे चढ़ाएं सूर्य देव को जल

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • गंगाजल न हो तो स्नान के पानी में तुलसी की मंजरी भी डाल सकते हैं।
  • साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें और फिर उसमें रोली, अक्षत, गुड़ और लाल फूल मिलाएं।
  • नंगे पैर सूर्य देव को भाव के साथ अर्घ्य चढ़ाएं।
  • वहीं, खड़े होकर सूर्य देव के नामों का जाप करें।
  • इसके साथ ही 11 बार सूर्य नमोस्तु श्लोक का जाप करें।
  • सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय ''ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:'' आदि वैदिक मंत्रों का जाप करें।
  • तामसिक चीजों से परहेज करें और पैरों में अर्घ्य का पानी न पड़ने दें।

करें ये उपाय

सिंह संक्रांति व्रत का पालन करें और सूर्यदेव की भाव के साथ पूजा करें। इसके बाद गुड़, लाल पुष्प, तांबा, गेहूं आदि सामग्री का दान करें। फिर जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं। ऐसा करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होंगे। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।

पूजा मंत्र

  • ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।