Sita Navami 2024: आखिर किस वजह से मां सीता को देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा? जानें इससे जुड़ी कथा
रामायण की कथा (Hindu mythology) के अनुसार भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मिला था। इस अवधि के दौरान प्रभु के साथ माता सीता और लक्ष्मण थे। वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से विद्या ग्रहण की और तपस्या की। रावण के साथ युद्ध में भगवान श्रीराम विजयी हुए। इसके बाद माता सीता को पवित्रता को सिद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sita Navami Shubh Muhurat: हर साल बेहद उत्साह के साथ वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि इसी दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार सीता नवमी 16 मई को है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर मां सीता और भगवान श्रीराम की विधिपूर्वक पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है।
रामायण की कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मिला था। इस अवधि के दौरान प्रभु के साथ माता सीता और लक्ष्मण थे। वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से विद्या ग्रहण की और तपस्या की। रावण के साथ युद्ध में भगवान श्रीराम विजयी हुए। इसके बाद माता सीता को पवित्रता को सिद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी।
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इस वजह से देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा
सनातन शास्त्रों में जगत जननी मां सीता की अग्नि परीक्षा का उल्लेख है। भगवान श्रीराम त्रेता युग के समकालीन थे। पिता की आज्ञा पाकर भगवान श्रीराम, मां सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास गए। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक होना था। उससे एक दिन पूर्व ही मां कैकेयी ने भरत को राज सिंहासन देने और भगवान श्रीराम को वनवास भेजने का वरदान राजा दशरथ से मांगा था। इसी वरदान के फलस्वरूप भगवान श्रीराम को वनवास जाना पड़ा। कालांतर में जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम वनवास में थे। उन दिनों मां सीता का हरण दशानन रावण के द्वारा किया गया था। रावण के साथ युद्ध में विजयी होने के बाद जब प्रभु संग मां सीता अयोध्या लौटीं, तो समाज द्वारा मां सीता पर आरोप लगाया जाने लगा। साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम की प्रभुता पर सवाल उठाये। आखिर ये प्रभु राम कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जो मां सीता कुछ समय पहले रावण के पास थीं। जब यह बात भगवान श्री राम को पता चली, तो उन्होंने अपनी प्रजा के कल्याण हेतु माता सीता को अपनी पवित्रता को सिद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा देने की बात कही। उस समय मां सीता को अग्नि परीक्षा का सामना करना पड़ा।सीता नवमी 2024 शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 मई को सुबह 06 बजकर 22 मिनट से होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 17 मई को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा। ऐसे में सीता नवमी का पर्व 16 मई को मनाया जाएगा।यह भी पढ़ें: Sita Navami 2024: सीता नवमी पर इस तरह करें पूजा, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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