Skanda Sashti 2024: भगवान कार्तिकेय की पूजा के समय जरूर करें ये आरती, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि
सनातन शास्त्रों में भगवान कार्तिकेय (Skanda Sashti 2024) को स्कन्द कहा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से स्नान-ध्यान के बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 13 May 2024 07:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Skanda Sashti 2024: हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी मनाई जाती है। वैशाख माह में 13 मई को स्कन्द षष्ठी है। यह पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में भगवान कार्तिकेय को स्कन्द कहा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से स्नान ध्यान के बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। अगर आप भी भगवान कार्तिकेय की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पूजा के समय इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ करें। वहीं, पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।
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श्री कार्तिकेय स्तोत्र
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥