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Somvar Vrat Niyam: सोमवार के व्रत में करें इन नियमों का पालन, मिलेगा पूजा का पूर्ण फल

सोमवार (Somvar Vrat Niyam) का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन का उपवास रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जिनके विवाह में देरी हो रही हैं उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन का व्रत विधिपूर्वक करना चाहिए। इसके साथ ही व्रत के नियमों का पालन भी करना चाहिए जो बेहद जरूरी है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 10 Mar 2024 02:25 PM (IST)
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Somvar Vrat Niyam: सोमवार व्रत के नियम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Somvar Vrat Niyam: सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। वैसे ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन का उपवास रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जिनके विवाह में देरी हो रही हैं उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

इसलिए कहा जाता है कि इस दिन का व्रत विधिपूर्वक और श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। इसके साथ ही व्रत के नियमों का भी पालन करना चाहिए, जो बेहद जरूरी है। तो आइए जानते हैं भोले भंडारी को कैसे प्रसन्न करना है ?

सोमवार व्रत के नियम

  • व्रती सोमवार के दिन सुबह देर तक न सोएं।
  • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें, स्नान के पानी में गंगाजल जरूर मिलाएं।
  • साफ वस्त्र धारण करें।
  • इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
  • भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • एक वेदी पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करें।
  • उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा और सफेद फूल शिव जी को अर्पित करें।
  • खीर का भोग लगाएं।
  • सोमवार की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  • शिव जी का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
  • अंत में भावपूर्ण महादेव की आरती करें।
  • व्रती तामसिक चीजों से दूर रहें।
  • पूजा में हल्दी, रोली और तुलसी का पत्र भूलकर भी शामिल न करें।
  • अगले दिन सुबह प्रसाद से अपना व्रत खोलें, साथ ही व्रत में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

सोमवार के व्रत में करें इन मंत्रों का जाप

  • ।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।
  • शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

    ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

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