Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर करें ये चमत्कारी उपाय, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद
सोमवती अमावस्या पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है तो अमावस्या तिथि पर गंगा समेत अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय पितरों को तिलांजलि दें। इसके लिए हथेली में जल और काले तिल लेकर पितरों का तर्पण करें। इस समय तीन बार जलांजलि दें। शास्त्रों में निहित है कि माता-पिता की तीन पीढ़ी के पितरों का तर्पण किया जाता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 07 Apr 2024 04:54 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर पितरों का तपर्ण करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ जी और जटायु का तर्पण किया था। वहीं, भरत ने भी अपने पिता दशरथ जी का तर्पण और पिंडदान किया था। ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या तिथि पर विशेष उपाय करने का विधान है। इन उपायों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सोमवती अमावस्या पर ये चमत्कारी उपाय जरूर करें। आइए जानते हैं-
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उपाय
- सोमवती अमावस्या पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो अमावस्या तिथि पर गंगा समेत अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय पितरों को तिलांजलि दें। इसके लिए हथेली में जल और काले तिल लेकर पितरों का तर्पण करें। इस समय तीन बार जलांजलि दें। शास्त्रों में निहित है कि माता-पिता की तीन पीढ़ी के पितरों का तर्पण किया जाता है। अतः तीन बार जलांजलि दें।
- अगर आप पितरों को मोक्ष दिलाना चाहते हैं, तो सोमवती पर स्नान-ध्यान के बाद पितरों का तर्पण करें। इसके पश्चात, गरुड़ पुराण का पाठ करें। इस पुराण के पाठ से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
- अगर आप पितृ दोष से पीड़ित हैं, तो सोमवती अमावस्या पर स्नान-ध्यान के बाद दक्षिण दिशा में मुखकर काले तिल मिश्रित जल से अर्घ्य दें। इस समय पितृ को ध्यान कर गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- गरुड़ पुराण में निहित है कि अमावस्या तिथि पर गौशाला या छत पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर पितृ कवच और पितृ स्तोत्र का पाठ करें। इस उपाय को संध्याकाल में करें। इन उपायों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
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