Somvati Amavasya 2024: पितृ दोष की समस्या से न हों परेशान, इन मंत्रों के जप से पूर्वज होंगे प्रसन्न
धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पर विधिपूर्वक पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से जातक को पितृ दोष की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही उसके जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है। माना जाता है कि पूर्वजों के प्रसन्न होने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या 02 सितंबर 2024 दिन (Somvati Amavasya 2024 Date) सोमवार को मनाई जाएगी। यदि आप अभी पितरों की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो सोमवती अमावस्या के दिन इन मंत्रों का जप जरूर करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होंगे और पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी।
पितृ मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव चनम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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4. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।5. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।6. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकमगंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।7. गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।8. गोत्रे मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकमगंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः"9. पितृ निवारण स्तोत्रअर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।