Sri Krishna: भगवान श्री कृष्ण ने कैसे प्राप्त किया सुदर्शन चक्र, जानिएं इसकी विशेषताएं
आपने भगवान कृष्ण की तस्वीरों में उन्हें सुदर्शन चक्र धारण करते देखा होगा। सुदर्शन चक्र की कई विशेषताएं हैं जिसके कारण भगवान ने इसे अपने अस्त्र के रूप में चुना। आओ जानते हैं श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र का रहस्य।
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Sri Krishna: सभी देवी-देवता अपना अलग-अलग चक्र धारण करते हैं। उन सभी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे शंकरजी के चक्र का नाम भवरेंदु, विष्णुजी के चक्र का नाम कांता चक्र और देवी के चक्र का नाम मृत्यु मंजरी है। इसी प्रकार सुदर्शन चक्र का नाम लेते ही भगवान कृष्ण का बोध होता है।
क्या हैं सुदर्शन चक्र की कई विशेषताएं
भगवान श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र धारण करते थे। जिसके चलते सभी शुत्र उनसे भयभीत रहते थे। भले ही यह चक्र को छोटा होता है लेकिन इसे सबसे अचूक अस्त्र माना जाता था। यह अस्त्र बहुत ही शक्तिशाली था, क्योंकि छोड़े जाने के बाद शत्रु का नाश करके ही लौटता था। इस अस्त्र को किसी भी प्रकार से रोक पाना असंभव था। जब-जब श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र उठाया तब-तब वह बिना वार किए वापिस नहीं आया। फिर चाहे सुदर्शन से किसी का वध करने के स्थान पर उन्होंने किसी की शक्ति या अभिमान पर ही वार किया हो।
श्रीकृष्ण ने कैसे प्राप्त किया सुदर्शन चक्र
श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र भगवान परशुराम से प्राप्त किया था। जिसके बाद उनकी शक्तियां और भी बढ़ गई थी। शिक्षा ग्रहण करने के बाद श्रीकृष्ण की भेंट विष्णुजी के अवतार परशुराम से हुई थी। परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भेंट किया था। इसके बाद ये चक्र हमेशा श्रीकृष्ण के साथ रहा। श्रीकृष्ण से अपने सुदर्शन चक्र से सबसे पहला वध राजा श्रृगाल का किया था। श्रृगाल हिंसक वृत्ति का हो गया था। वह किसी की भी स्त्री, संपत्ति और भूमि को हड़प लेता था। सुदर्शन चक्र शिवजी ने त्रिपुरासुर का वध करने के लिए निर्मित किया था। बाद में शिवजी ने सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को दे दिया था।
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