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राजा भोज के नगर धार में तनाव का वसंत

बसंत तो इस बार भी आया है लेकिन राजा भोज के नगर धार में इसका उल्लास नदारद है। हवा में सरसों, और टेसू की महक के बजाय डर और सन्नाटा है। गली, ओटलों, बाजारों तक में एक ही चर्चा है '12 फरवरी को क्या होगा।' शहर छावनी बन चुका है।

By Preeti jhaEdited By: Updated: Wed, 10 Feb 2016 12:45 PM (IST)
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बसंत तो इस बार भी आया है लेकिन राजा भोज के नगर धार में इसका उल्लास नदारद है। हवा में सरसों, और टेसू की महक के बजाय डर और सन्नाटा है। गली, ओटलों, बाजारों तक में एक ही चर्चा है '12 फरवरी को क्या होगा।' शहर छावनी बन चुका है। बाजार की रौनक पुलिसिया बूटों की आवाज में दब गई है।

तीन पाटों में फंसा धार शक्ति प्रदर्शन और खामोश रणनीति का मैदान बन गया है। सरकारी कारिंदों से लेकर शहर के बाशिंदों तक को नहीं पता कि वो दिन कैसे गुजरेगा। सरकार के यह कहने से भी खौफ कम नहीं हो रहा कि 'राजधर्म का पालन किया जाएगा'।

2013 में विवाद के बाद अब 2016 में फिर वही हालात हैं। दहशत को 'मैनेज' करने के लिए सरकार ने एक साल पहले से कागजी तैयारियां शुरू कर दी थीं। 2016 की पहली तारीख से बातचीत के दौर शुरू हुए लेकिन परिणाम शून्य ही रहा। हिंदू संगठन प्रशासन से बातचीत में यह कहकर अलग रहे कि आपके हाथ में है क्या। आपको तो आदेश का पालन ही करना है। मुस्लिम संगठनों व प्रशासन की बातचीत भी बेनतीजा रही।

इन तीन धड़ों में उलझा धार

हिंदू संगठन : इस बार नहीं ठगाएंगे

2013 में सरकार व अफसरों द्वारा छले जाने का आरोप लगाते हुए इन्होंने इस बार गोपनीय रणनीति बनाई। भोजशाला में पूजा का निमंत्रण व किस क्षेत्र से कितनों को और किस तरह लाना है, जैसी जिम्मेदारियां 7-8 माह पहले ही तय कर दी गई थी। 8 फरवरी की वाहन रैली में उमड़ी बड़ी संख्या ने इरादे जाहिर भी कर दिए। आयोजन समिति के पदाधिकारी कहते हैं-पिछली बार इस भ्रम में ठगे गए थे कि अपनी सरकार है, साथ देगी। इस बार ठगे नहीं जाएंगे।

मुस्लिम संगठन: बिना नेतृत्व पर रणनीति तैयार

मुस्लिम संगठनों के बीच यहां नेतृत्व का मसला उलझा हुआ है। आपत्तिजनक रैली पर पुलिस द्वारा शहर काजी वकार सादिक के खिलाफ देशद्रोह का प्रकरण दर्ज किए जाने के बाद से स्थिति उलझी हुई है। बातचीत के लिए पहले एक धड़े से जुड़े लोग आगे आए, बाद में शहर काजी ने भी बातचीत शुरू की तो अफसर उनसे भी बातचीत करने लगे। आधी बात एक और बाकी दूसरे धड़े के साथ होने से स्थिति और उलझ गई। मुस्लिम समुदाय का कहना है-शरीयत के मुताबिक जहां जुम्मे की नमाज होती है, उसे खंडित नहीं किया जाता, इसलिए सरकार नमाज की व्यवस्था करे।

पुलिस-प्रशासन: झोंक दी ताकत

बातचीत के रास्ते बंद हुए तो पुलिस-प्रशासन ने हालात के मुताबिक कार्रवाई की रणनीति अपनाकर धार को छावनी बना दिया है। ए, बी और सी जैसे तीन प्लान तैयार हैं। हालांकि सबकुछ शांतिपूर्ण ढंग से कैसे निपटेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं। डीजीपी, एडीजी, कमिश्नर सहित आईपीएस और राज्य प्रशासनिक अफसर यहां जमे हुए हैं।

चार स्तरीय सुरक्षा

पुलिस ने धार को चार स्तरीय सुरक्षा घेरे में रखा है। पहला घेरा भोजशाला परिसर के भीतर, दूसरा परिसर के बाहर, तीसरा पूरा धार शहर और चौथा आसपास के जिलों से धार को जोड़ने वाले रास्तों पर बनाया गया है। इसके अलावा स्ट्राइकिंग फोर्स अलग से तैयार है।

राजनीतिक शून्यता से और बिगड़ा मामला

विवाद का सकारात्मक हल न निकलने की बड़ी वजह राजनीतिक शून्यता भी है। सरकार ने कमान प्रशासन के हाथों सौंपकर रुको और देखो की रणनीति अपना ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा और विधायक नीना वर्मा ने दूरी बनाए रखी। हालांकि सांसद हिंदू संगठनों के साथ खड़ी दिख रही हैं।

धार में डर या घबराहट की कोई बात नहीं है। केंद्र के निर्देशों का अक्षरक्ष: पालन करवाया जाएगा। सरकार राजधर्म का पालन करेगी। - नरोत्तम मिश्रा, प्रभारी मंत्री

कहीं कोई डर की बात नहीं है। जितना बल धार में आया है, उससे कहीं अधिक और बुलवाया जा रहा है। - संजय दुबे, कमिश्नर इंदौर संभाग

पूजा और अखंड यज्ञ का निर्णय ले चुके हैं। इस पर फैसला नहीं होगा तो धार की शांति के लिए भोजशाला के बाहर ही यज्ञ व पूजा करेंगे। सरकार साथ हो न हो, फर्क नहीं पड़ता। पिछली बार हमें भोजशाला परिसर में धोखे से बुलाकर पीटा और बाद में धार की शांति भंग करने के आरोप लगा दिए थे। इस बार हमने पूरे प्रदेश के हिंदूओं से भोजशाला आने का आहृवान किया है। 12 फरवरी को सब देखेंगे, इस बार क्या होगा। - गोपाल शर्मा, धर्म जागरण विभाग प्रमुख