Subramanya Shashti 2023: इस दिन पड़ रही है स्कंद षष्ठी, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
Subramanya Shashti 2023 सुब्रमण्यम षष्ठी का तमिलनाडु में बड़ा धार्मिक महत्व है। शिव जी और माता पार्वती के पुत्र भगवान सुब्रह्मण्य हैं। भगवान स्कंद को समर्पित कई नाम हैं जिनमें तमिलों के भगवान वेलन कुमारन मुरुगन और कार्तिकेय शामिल हैं। इस विशेष दिन पर भगवान कार्तिकेय ने छह दिनों तक लंबी लड़ाई के बाद राक्षस तारकासुर का वध किया था।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Subramanya Shashti 2023: सुब्रमण्यम षष्ठी को बहुत शुभ माना जाता है। लोग इसे स्कंद षष्ठी के रूप में भी मनाते हैं। यह भारत के दक्षिणी राज्यों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस शुभ दिन पर, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करते हैं।
साथ ही आशीर्वाद लेने के लिए भगवान स्कंद को समर्पित मंदिर में जाते हैं। इस माह सुब्रमण्य षष्ठी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी 18 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी।
सुब्रमण्यम षष्ठी तिथि
षष्ठी तिथि आरंभ - 17 दिसंबर 2023 - 05:33
षष्ठी तिथि समाप्त - 18 दिसंबर 2023 - 03:13
सुब्रमण्यम षष्ठी का महत्व
सुब्रमण्यम षष्ठी का तमिलनाडु में बड़ा धार्मिक महत्व है। शिव जी और माता पार्वती के पुत्र भगवान सुब्रह्मण्य हैं। भगवान स्कंद को समर्पित कई नाम हैं, जिनमें तमिलों के भगवान, वेलन कुमारन मुरुगन और कार्तिकेय शामिल हैं।
इस विशेष दिन पर भगवान कार्तिकेय ने छह दिनों तक लंबी लड़ाई के बाद राक्षस तारकासुर का वध किया था। ऐसे में जो साधक इस दिन भगवान स्कंद की विधि अनुसार, पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सुब्रमण्यम षष्ठी पूजा विधि
- इस दिन सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
- पूजा मंदिर को साफ करें और भगवान मुरुगन की प्रतिमा स्थापित करें।
- कार्तिकेय जी को चंदन का तिलक लगाएं।
- भगवान कार्तिकेय को फूलों की माला अर्पित करें।
- देसी घी का दीया जलाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
- इस दिन भगवान स्कंद को दूध चढ़ाने का भी विधान हैं।
- अंत में आरती के साथ पूजा का समापन करें।
- प्रसाद से ही अपना उपवास खोलें।
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