Move to Jagran APP

Success Mantra: पॉजिटिव एनर्जी से भर देगा इन 5 मंत्रों का उच्चारण, जानिए इनका अर्थ भी

Success Mantra सनातन धर्म में मंत्रों के उच्चारण का बहुत महत्व माना गया है। मंत्रों में बहुत शक्ति होती है। कोई भी मंत्र जाप यदि सही ढंग और सही तरीके से किया जाए तो उसका प्रभाव सकारात्मक ही पड़ता है। सुबह उठकर कुछ मंत्रों के उच्चारण से पूरे दिन आपके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। जिस कारण आपका दिन अच्छा जाता है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sat, 24 Jun 2023 10:43 AM (IST)
Hero Image
Success Mantra पॉजिटिव एनर्जी के लिए किन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Success Mantra: हिंदू धर्म में ऐसे कई मंत्र बताए गए हैं जिनका उच्चारण करने से व्यक्ति का न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क भी सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। आइए उन मंत्रों के बारे में उनके अर्थ सहित जानते हैं।

1.त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।

त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।

आपने यह श्लोक कई बार सुना होगा। इसका अर्थ है कि - हे भगवान! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। तुम ही मेरे देवता हो।

2. ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं

भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

यह गायत्री मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है। इस मंत्र का मतलब है- हे प्रभु, कृपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिए और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईए।

3. आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥

इस श्लोक का अर्थ है- हे आदिदेव! आपको प्रणाम है,आप मुझ पर प्रसन्न हों, हे दिवाकर, हे प्रभाकर आपको प्रणाम है।

4. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।

अर्थ- मैं भगवान विष्णु का ध्यान करता हूं, जिनका स्वरूप शांत है। जो शेषनाग की शैय्या पर शयन करते हैं। जिनकी नाभि से कमल निकल रहा है और जो देवताओं के भी ईश्वर है। सम्पूर्ण विश्व का आधार है और आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त है। नीले मेघ के समान नील वर्ण वाले हैं और जिनके सम्पूर्ण अंग अति शुभ और मनमोहक है।

5. लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

अर्थ- श्री लक्ष्मी जी के स्वामी और कमल के समान नयन वाले योगियों द्वारा ध्यान के माध्यम से प्राप्त होने वाले हैं सर्वव्यापी श्री विष्णु भगवान की मैं वंदना करता हूं। जो सभी प्रकार के जन्म मरण के भय को हरते है और सम्पूर्ण विश्व के नाथ स्वामी है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'