Kanya Sankranti 2024: कन्या संक्रांति पर सुकर्मा योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, प्राप्त होगा दोगुना फल
धार्मिक मत है कि सूर्य देव की पूजा (Kanya Sankranti Puja Vidhi) करने से साधक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष कुंडली में सूर्य मजबूत करने के लिए सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। इस दिन शिल्पकार विश्वकर्मा जी की भी पूजा की जाती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 09 Sep 2024 05:15 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 16 सितंबर को सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। अतः 16 सितंबर को कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti 2024) मनाई जाएगी। संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य किया जाता है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसके बाद विधि पूर्वक सूर्य देव की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो कन्या संक्रांति पर सुकर्मा योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलेगी।
यह भी पढ़ें: सितंबर महीने में इस दिन करें श्रीसत्यनारायण पूजा, आर्थिक तंगी होगी दूर
कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त (Kanya Sankranti Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कन्या संक्रांति तिथि पर पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 25 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 25 मिनट तक है। साधक सुविधा के अनुसार पुण्य काल के दौरान स्नान-ध्यान कर दान-पुण्य कर सकते हैं।
सुकर्मा योग
कन्या संक्रांति पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन सुबह 11 बजकर 42 मिनट पर होगा। ज्योतिष सुकर्मा योग को शुभ मानते हैं। इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं। इस योग में शुभ कार्य का श्रीगणेश करने से सफलता अवश्य मिलती है। सुकर्मा योग में विश्वकर्मा जी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।रवि योग
सूर्य देव के कन्या राशि में गोचर करने की तिथि पर रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। रवि योग का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 33 मिनट पर हो रहा है। वहीं, रवि योग का समापन 17 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर होगा। इस योग में विश्वकर्मा जी की पूजा करने से साधक को करियर और कारोबार में नया आयाम मिलेगा।