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Surya Dev Puja: रविवार के दिन भूलकर भी न करें ये 4 काम, शुरू हो जाएंगे बुरे दिन

रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त रविवार का व्रत करते हैं और सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं उन्हें अपार यश और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है। ऐसे में इस दिन भगवान सूर्य की पूजा (Surya Dev Pujan) जरूर करें और उनकी भव्य आरती करें।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 17 Nov 2024 06:30 AM (IST)
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Surya Dev Puja: रविवार के दिन भूलकर भी न करें ये 4 काम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। रविवार का दिन भगवान सूर्य देव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग रविवार के दिन का उपवास रखते हैं और श्रद्धा के साथ सूर्य नारायण की पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें उनकी कृपा प्राप्त होती है। सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए सूर्योदय से पहले उठें। फिर स्नान करें। इसके बाद जल में गुड़, रोली, गुड़हल और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं।

इसके बाद भाव के साथ उनकी आरती करें। ऐसा करने से सूर्य देव का आशीर्वाद मिलेगा। इसके साथ ही अपार यश और धन प्राप्त होगा, तो आइए यहां सूर्य देव की आरती (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti) पढ़ते हैं -

रविवार के दिन न करें ये 4 काम

  • व्रती गलती से भी व्रत में नमक का सेवन न करें।
  • तामसिक चीजों से परहेज करें।
  • पिता का अपमान करने से बचें, क्योंकि सूर्य पिता का कारक ग्रह माने जाते हैं।
  • इस दिन काले वस्त्र न पहनें।

।।सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।