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Surya Dev Puja: नौकरी में मिलेगी सफलता, ग्रह दोष होगा समाप्त, ऐसे करें भगवान सूर्य को प्रसन्न

हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा फलदायी मानी गई है। भगवान सूर्य की उपासना सच्चे भाव के साथ की जाए तो सरकारी नौकरी का योग बनता है और ग्रह दोष समाप्त होता है। ऐसे में जो लोग सूर्य देव (Surya Dev Puja) की कृपा चाहते हैं तो उन्हें उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही पूजा का समापन आरती से करना चाहिए तो आइए यहां पढ़ते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 18 Feb 2024 07:00 AM (IST)
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Surya Dev Ki Aarti: भगवान सूर्य की आरती

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Dev Ki Aarti: सनातन धर्म में रविवार का दिन बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन अगर भगवान सूर्य की उपासना सच्चे भाव के साथ की जाए, तो सरकारी नौकरी का योग बनता है और ग्रह दोष समाप्त होता है।

ऐसे में जो लोग सूर्य देव (Surya Dev) की कृपा चाहते हैं, तो उन्हें उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही पूजा का समापन आरती से करना चाहिए, तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।।भगवान सूर्य की आरती।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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