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Surya Grahan 2024: कल लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, नोट करें सूतक काल एवं ग्रहण समय

सनातन धर्म में सर्वपितृ अमावस्या (Ashwin Amavasya) का विशेष महत्व है। इसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या पर साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। बड़ी संख्या में साधक अमावस्या तिथि पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके बाद पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करते हैं। इससे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 01 Oct 2024 10:17 PM (IST)
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Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 02 अक्टूबर को लगने वाला है। इस दिन आश्विन अमावस्या भी है। सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर ही लगता है। आश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर मायावी ग्रह राहु का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है। वहीं, सूर्य की शक्ति क्षीण हो जाती है। इसके लिए शास्त्रों में ग्रहण के दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। साथ ही खानपान से भी परहेज करने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि 02 अक्टूबर को कब ग्रहण (Surya Grahan 2024) लगेगा और सूतक काल कब से कब तक रहेगा? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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क्या होता है सूतक और कब लगेगा ?

ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व सूतक लगता है। हालांकि, ग्रहण न दिखने पर सूतक मान्य नहीं होता है। वहीं, चंद्र ग्रहण से 09 घंटे पूर्व सूतक लगता है। ग्रहण समाप्त होने तक सूतक प्रभावी रहता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ किया जाता है। इसके बाद दान-पुण्य किया जाता है।

कब लगेगा सूर्य ग्रहण?

खगोलीय गणना के अनुसार, सूर्य ग्रहण 02 अक्टूबर यानी सर्वपितृ अमावस्या को भारतीय समयानुसार रात 09 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और 03 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, रात्रि होने के चलते यह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य या प्रभावी नहीं होगा। कुल मिलाकर कहें तो 02 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। हालांकि, ग्रहण के दौरान शास्त्र सम्मत बातों का जरूर पालन करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।