Tadkeshwar Shiva Temple: बिना छत का है भोलेनाथ का यह धाम, खुद प्रकट हुआ था शिवलिंग!
हिंदू धर्म में भगवान शंकर की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं आज हम एक ऐसे शिव धाम की बात करेंगे जिसके एक बार दर्शन करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का अंत हो जाता है जो लोग लगातार किसी मुश्किल से परेशान हैं उन्हें इसके दर्शन को अवश्य जाना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शंकर की पूजा का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि देवों के देव महादेव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है। साथ ही सभी कार्यों की पूर्ति होती है। वहीं, आज हम भोलेनाथ के एक ऐसे दिव्य मंदिर की बात करेंगे, जिसको लेकर काफी मान्यताएं हैं। दरअसल, हम ताड़केश्वर महादेव मंदिर (Tadkeshwar Shiva Temple) की बात कर रहे हैं, जो गुजरात के वलसाड जिले में स्थित है, माना जाता है कि यह धाम 800 साल पुराना है, तो आइए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर नजर डालते हैं।
ताड़केश्वर मंदिर रोचक तथ्य
ताड़केश्वर धाम को लेकर कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि यहां एक समय में बड़ी संख्या में ताड़ के वृक्ष हुआ करते थे, जिस वजह से इसका नाम ताड़केश्वर महादेव पड़ा। इस धाम को पहले ताड़कनाथ के नाम से जाना जाता था। लोगों का कहना है कि यह पर स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है।
इनकी स्थापना किसी के द्वारा नहीं हुई है। इस शिव मंदिर को लेकर लोगों की गहरी आस्था है, जो लोग इस पवित्र स्थान पर एक बार सच्चे भावे के साथ पहुंच जाते हैं, उनकी सभी बाधाओं को भोलेनाथ हर लेते हैं।
मंदिर के ऊपर नहीं है छत
जब ताड़केश्वर महादेव धाम की स्थापना हुई तब, वहां उसकी सुरक्षा के लिए एक अस्थायी दीवार और घास की छत बनाई गई, लेकिन कुछ समय बीतने के बाद वह छत जल गई। इसके बाद वहां के क्षेत्रीय लोगों ने दोबारा ट्यूबलर की छत बनाई, जो तूफान के साथ उड़ गई। ऐसा कई बार होने के बाद एक बार भगवान शंकर ने अपने
एक भक्त के स्वप्न में यह बताया कि 'वे ताड़केश्वर हैं और इस शिवलिंग के ऊपर छत न बनाया जाए', जिसके बाद से इस धाम की छत खुली हुई है और तभी से लोग यहां पर शिव जी को ताड़केश्वर महादेव के नाम से पूजते हैं।यह भी पढ़ें: Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर जरूर करें इन पूजन नियमों का पालन, खुलेगा किस्मत का ताला
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।