Thaipusam Festival: भारत ही नहीं, इन देशों में भी मनाया जाता है थाईपुसम का पर्व ?
थाईपुसम के पर्व (Thaipusam Festival) को शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है। यह कठिन विश्वास और आध्यात्मिक संतुष्टि का प्रतीक है। इसके साथ ही यह पर्व हिंदू समुदायों के बीच सांस्कृतिक पहचान धार्मिक जुनून और सामुदायिक एकता का एक रंगीन प्रदर्शन है। इस दिन भगवान मुरुगन यानी कार्तिकेय जी की पूजा होती है। आइए इस पर्व से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Thaipusam Festival: भारत अपनी अलग-अलग परंपराओं और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां ऐसे कई त्योहार हैं, जिन्हें लोग बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। इन्हीं में से एक पर्व थाईपुसम है, जो भारत के साथ कई अन्य देशों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं और धारणाएं हैं। तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं -
थाईपुसम का पर्व कहां मनाया जाता है ?
थाईपुसम का त्योहार भगवान मुरुगन यानी कार्तिकेय जी को समर्पित है। यह पर्व तमिल भक्तों द्वारा मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस पर्व को पूर्णिमा के दिन बड़े भाव के साथ मनाया जाता है। थाईपुसम शब्द का अर्थ है - नक्षत्रम पुसम। इसे भारत के साथ मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका और दुनिया के कई अन्य देशों में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।यह भी पढ़ें: Phulera Dooj 2024: प्यार में मिलेगी सफलता, वैवाहिक जीवन होगा सुखी, फुलेरा दूज पर चढ़ाएं भगवान कृष्ण को ये चीजें
इसलिए मनाया जाता है थाईपुसम का पर्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोरापदमन नामक दानव ने तपस्या के माध्यम से भगवान शिव से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त की, जिसके बाद उसने देवताओं सहित अन्य प्राणियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। ऐसे में ब्रह्मांड को बचाने के लिए देवों ने भगवान शिव से प्रार्थना की।देवों को असहाय देखकर भोलेनाथ ने अपनी दिव्य शक्तियों से भगवान मुरुगन को जन्म दिया, जिसके बाद माता पार्वती ने उस राक्षस के वध के लिए कार्तिकेय जी को एक अस्त्र दिया, जिससे उन्होंने उसका वध कर दिया और पूरे संसार में फिर से शांति स्थापित की। बता दें, इस अस्त्र देने के दिन को ही लोग थाईपुसम पर्व के तौर पर मनाते हैं।यह भी पढ़ें: Amalaki Ekadashi 2024: इस दिन मनाई जाएगी आमलकी एकादशी, जानिए महत्व और पारण का समय
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