प्रभु-प्रेम ही मानव जीवन का वास्तविक सुख है
संसार एक दिन पृथ्वी पर स्वर्ग बन जाएगा। हम अंतर में परमात्मा के जिस प्रेम से जुड़ते हैं वही सच्चा सौंदर्य है जो दुनिया को सुंदर बनाता है। साथ ही यही मानव जीवन में वास्तविक सुख का माध्यम भी बनता है।
By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Sun, 12 Dec 2021 12:04 PM (IST)
जब हम अपने अंतर में प्रभु-प्रेम के स्नोत से जुड़ते हैं तो हम पूरी सृष्टि को परमात्मा का एक परिवार मानते हुए सभी से प्रेम करते हैं। यह प्रेम हमसे प्रवाहित होकर उन सभी को प्रसन्नता प्रदान करता है, जिनसे भी हम मिलते हैं। यदि प्रत्येक मनुष्य प्रेम की इस स्थिति में रहे तो यह संसार एक दिन पृथ्वी पर स्वर्ग बन जाएगा। हम अंतर में परमात्मा के जिस प्रेम से जुड़ते हैं, वही सच्चा सौंदर्य है, जो दुनिया को सुंदर बनाता है। साथ ही यही मानव जीवन में वास्तविक सुख का माध्यम भी बनता है।
प्रेम केवल परमात्मा की शक्ति है। इसे समझने के लिए हम बल्ब का उदाहरण ले सकते हैं। बल्ब का बाहरी कांच या अंदर का तार प्रकाश नहीं देता, यह उस तार में प्रवाहित होने वाली बिजली की शक्ति है, जिससे बल्ब जलता है। बल्ब बिजली के बिना निर्थक है। इसी तरह एक उद्यान भी खूबसूरत इसलिए लगता है, क्योंकि परमात्मा की जीवन देने वाली शक्ति फूलों से प्रकट होती है। परमात्मा से जो प्रेम प्रवाहित होता है, वही हमें परमात्मा की शक्ति से जोड़े रखता है। प्रभु का यही प्रेम हमारी चेतनता को बढ़ाता है, जिससे हम वातावरण में, उद्यान में और अपने जीवन में सच्चे सौंदर्य को देख पाते हैं।
परमात्मा का प्रेम पाने के लिए हमें केवल प्रेम, समर्पण और विश्वास से ध्यान-अभ्यास में समय देना है। खुद का निरीक्षण करते हुए हमें अहिंसा, सच्चाई, नम्रता, पवित्रता और निष्काम सेवा जैसे गुणों को अपने जीवन में ढालना है। बाकी सब कुछ हमें परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें परमात्मा की अपार दया अवश्य प्राप्त होती है। फिर हम एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। साथ ही यह भी अनुभव करते हैं कि परमात्मा हर समय हमारी देखभाल कर रहे हैं। उस अवस्था में हम अपना जीवन परमात्मा के हाथों में सौंप देते हैं। हमारी सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं। हम अपने अंतर में परमात्मा के प्रेम की बहार का आनंद लेते है।
संत राजिंदर सिंह जी महाराज