पांडव इस कारण जीते महाभारत के युद्ध
महाभारत के युद्ध में 1 से 10 वे दिन तक भीष्म पितामह कौरव सेना पति थे, फिर 11 से 15 तक द्रोणाचार्य 16 और सत्रह को कर्ण और अठारवे दिन शल्य और रात में अश्वथामा। जबकि पांडवो की तरह से शुरू से लेकर आखिर तक धृष्टद्युमय ही सेनापति थे जो
By Preeti jhaEdited By: Updated: Tue, 16 Feb 2016 11:31 AM (IST)
महाभारत के युद्ध में 1 से 10 वे दिन तक भीष्म पितामह कौरव सेना पति थे, फिर 11 से 15 तक द्रोणाचार्य 16 और सत्रह को कर्ण और अठारवे दिन शल्य और रात में अश्वथामा। जबकि पांडवो की तरह से शुरू से लेकर आखिर तक धृष्टद्युमय ही सेनापति थे जो की अठारवे दिन रात में मारे गए।
अठारवे दिन की समाप्ति पर ही युद्ध समाप्ति की घोषणा हो गई थी और कौरवो में सिर्फ कृतवर्मा कृपाचार्य और अश्वथामा और करण का पुत्र वृषकेतु था जो की बच्चा होने की वजह से युद्ध में नही लड़ने दिया गया था। लेकिन पांडवो की तरफ से दिन ढलने और युद्ध समाप्ति तक लाखों की सेना और ढेरो महारथी बचे थे।युद्ध समाप्ति के बाद पांडव युयुत्सु सात्यकि कृष्ण संग किसी गुप्त स्थान पर चले गए थे। उधर मरणासन तड़प रहे दुर्योधन ने अश्वथामा को सेनापति बना दिया था और समस्त पांडवो समेत पुरे पांडव वंश को मिटने का आदेश दे दिया था। ऐसे में अश्वथामा कृतवर्मा और कृपाचार्य को ले के रात में पांडव शिविर की और बढ़ा।
पुरे शिविर में आग लगा दी और सबको जिन्दा जला डाला, जो भागने की कोशिश करता ताक में बैठे कृपाचार्य और कृतवर्मा उन्हें मौत के घाट उतार रहे थे। देखते ही देखते कुछ ही घंटो में लाखो पांडव सैनिक और योद्धा मारे गए तब अश्वथामा का क्रोध शांत हुआ और तीनो वापस दुर्योधन के पास गए।जब उन्होंने दुर्योधन को ये जानकारी सुनाई तो वो चैन के साथ मरा, हार के भी उसे उस रात जीत का एहसास हुआ। जब सुबह पांडव आये तो चीत्कार करने लगे और अश्वथामा को ढूंढने लगे जो की व्यास के आश्रम में छुपा था। तब अर्जुन ने भी ब्रह्मा अस्त्र तान लिया और अश्वथामा ने भी, तब ब्यास ने दोनों को अस्त्र वापस लेने कहा अर्जुन ने मान लिया पर अश्वथामा ने अपना अस्त्र उत्तरा की कोख में मारा जिससे कोख के परीक्षित की मौत हो गई।
दुर्योधन ने अपने मित्र प्रेम में कर्ण को सोलहवे दिन सेनापति बनाया था, अगर वो अश्वथामा को सेनापति बनाता जो की रूद्र अवतार था और गुस्सा दिलाता तो वो युद्ध जीतता। लेकिन उसकी विनाशकाल में मति फिर गई थी।